पिथौरागढ़ में तेंदुए के हमले में घायल ग्रामीण की मौत, मुआवजे देने के निर्देश
पिथौरागढ़ जिले में तीन दिन पहले तेंदुए के हमले में गंभीर रूप से घायल बसंत तिवारी निवासी ग्राम डाकुड़ा (घाट) निवासी की उपचार के दौरान मौत हो गई। तीन दिन पूर्व बसंत तिवारी अपने घर की छत पर सो रहा था। उसी दौरान तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया।
पिथौरागढ़, जागरण संवाददाता : पिथौरागढ़ जिले में तीन दिन पहले तेंदुए के हमले में गंभीर रूप से घायल बसंत तिवारी निवासी ग्राम डाकुड़ा (घाट) निवासी की उपचार के दौरान मौत हो गई। तीन दिन पूर्व बसंत तिवारी अपने घर की छत पर सो रहा था। उसी दौरान तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। गुलदार के हमले से बसंत के सिर और चेहरे पर गंभीर चोट आ गई थी। मृतक अपने पीछे पत्नी सहित तीन बच्चों को छोड़कर गया है।
मृतक अपने घर पर रहकर ही काश्तकारी कर अपने बच्चों का भरण-पोषण करता था। घर के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति की मौत से परिवार के सम्मुख संकट पैदा हो गया है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष कोमल मेहता ने कहा के इस घटना को लेकर वन विभाग अधिकारियों से बात हुई है तत्काल प्रभावित परिवार को राष्ट्रीय आपदा व वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत अनुमन्य राहत राशि दिए जाने की मांग की गई है।
उत्तराखंड में सालभर यदि कोई वन्यजीव चर्चा में रहता है तो वह है गुलदार। इनके हमले तो लगातार सुर्खियां बन ही रहे, उससे ज्यादा हर किसी की जुबां पर चर्चा इसकी है कि आखिर कब तक राज्यवासी गुलदारों के खौफ से सहमे रहेंगे। हफ्तेभर के भीतर टिहरी और पिथौरागढ़ जिलों में दो महिलाओं व एक बालक की गुलदार के हमले में मौत की घटना के बाद यह मसला फिर से चर्चा के केंद्र में है। यह स्वाभाविक भी है।
जनवरी से अब तक की तस्वीर देखें तो वन्यजीवों के हमलों में 27 व्यक्तियों की मृत्यु हुई, जिनमें 14 की मौत की वजह गुलदार बने। यही नहीं, 23 लोग इस अवधि में गुलदार के हमलों में जख्मी हुए हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर में गुलदारों का खौफ किस कदर तारी है। सूरतेहाल, ऐसे कदम उठाने की दरकार है, जिससे मनुष्य भी सुरक्षित रहे और गुलदार भी।