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    Uttarakhand Panchayat Chunav: अभी तक पहाड़ में नहीं बन सकी मंडी, ठगा सा महसूस करते हैं किसान

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Fri, 04 Jul 2025 01:28 PM (IST)

    Uttarakhand Panchayat Chunav राज्य गठन के बाद भी पहाड़ में मंडी न बनने से किसान परेशान हैं। कुमाऊं के किसान हल्द्वानी मंडी में फसल बेचने को मजबूर हैं जहां उन्हें कम दाम मिलते हैं। इससे उनकी लागत भी नहीं निकल पाती। किसानों का कहना है कि मंडी बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बचेगा।

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    पहाड़ में मंडी का निर्माण न होने से किसानों में निराशा. Concept Photo

    ठगा सा महसूस करते हैं किसान, अभी तक पहाड़ में नहीं बन सकी मंडी

    फोटो... बड़ा मुद्दा - पहाड़ के किसानों को फल, सब्जियां बेचने के लिए हल्द्वानी मंडी पहुंचना मजबूरी - कम मात्रा में उत्पाद बेचने के लिए किसान का नहीं निकल पाता ट्रांसपोर्ट का भाड़ा - राज्य बनने के बाद पांचवी बार हो रहे हैं पंचायत चुनाव, ठगे से रह गए किसान

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    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। राज्य बनने के बाद से पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों के लिए पहाड़ में मंडी नहीं बन पाई। कुमाऊं के पांच पर्वतीय जिलों में बड़ी मात्रा में फल, सब्जियों का उत्पादन होता है।

    पहाड़ में मंडी न होने से किसान फसल ढोकर हल्द्वानी, दिल्ली मंडी में बेचने जाते हैं। यहां बिचौलिए किसानों से कम दाम में फसल खरीदते हैं। ऐसे में कई बार किसानों की लागत तक नहीं निकल पाती है। राज्य बनने के बाद पांचवीं बार पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। इसके बावजूद किसानों के लिए मंडी बनाने का मुद्दा कहीं नजर नहीं आता है। कुमाऊं में ज्यादातर किसान पर्वतीय क्षेत्रों के ग्रामीण इलाके से हैं।

    ऐसे में मंडी बनने से कई ग्राम पंचायतों के किसानों को लाभ मिलता। फिलहाल पहाड़ में मंडी बनाना चुनौती ही लग रहा है। मंडी न होने से पर्वतीय क्षेत्रों के किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर रहते हैं। इस स्थिति से किसानों का फल, सब्जी आदि उत्पादन को लेकर भी मोह भंग होने लगा है।

    444,569.89 मीट्रिक टन फल का उत्पादन

    कुमाऊं के पांच पर्वतीय जिलों में सेब, नाशपाती, खुमानी, आडू, पुलम, अखरोट, आम, लीची के साथ सब्जियों का भी उत्पादन होता है। इसमें सबसे अधिक फलों का उत्पादन होता है। आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं में 48695.96 हेक्टेयर भूमि में फलों का उत्पादन किया जाता है जिससे करीब 444,569.89 मीट्रिक टन फलों का उत्पादन होता है।

    चुनाव के समय कई मुद्दे आते हैं पर पूरे नहीं होते

    पहाड़ के किसान मजबूरन अपनी फसल बेचने के लिए हल्द्वानी जाते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में मंडी बन जाए तो काफी लाभ मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। - सतीश कुमार, भीमताल

    भीमताल, मुक्तेश्वर की तरफ सेब, आडू आदि का उत्पादन होता है। इसे बेचने के लिए ट्रांसपोर्ट में अधिक शुल्क देकर दूसरी मंडियां जाते हैं। कई बार दाम उचित नहीं मिलते। पहाड़ में मंडी बनने से ट्रांसपोर्ट खर्चा बचेगा, दाम भी सही मिलेंगे। - राकेश चंद्र ब्रिजवासी, नौकुचियाताल

    कई बार एक या दो कट्टा सब्जी बेचने के लिए हल्द्वानी मंडी जाते है। इसे बेचने के बाद ट्रांसपोर्ट का भाड़ा भी नहीं निकल पाता है। पहाड़ में मंडी बनने से छोटे किसान बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपना माल बेच पाएंगे। - यशपाल आर्या, सलड़ी

    चुनाव के समय नेता कई मुद्दे लाते है। मगर कभी कोई वादा पूरा नहीं हो पाता है। ऐसे ही पहाड़ में मंडी बनने का वादा भी अधूरा है। इससे स्थानीय किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बहार धक्के खाने पड़ रहे हैं। - देवेंद्र कुमार, गौलापार

    पहाड़ में मंडी बनने के लिए विचार किया जा रहा है। अल्मोड़ा के थल में छोटी मंडी है लेकिन वो अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इसे ठीक करा कर जल्द शुरू किया जाएगा। इससे पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को आसानी होगी। - डा. अनिल कपूर डब्बू , मंडी परिषद अध्यक्ष