सामान्य वर्ग से अधिक अंक हाेने पर भी क्षैतिज आरक्षण का हकदार, हाई कोर्ट का अहम फैसला
हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सामान्य वर्ग में आवेदन करें तो उसे नौकरी से वंचित नहीं रखा जा सकता।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सामान्य वर्ग में आवेदन करें तो उसे नौकरी से वंचित नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों से अधिक अंक हैं तो वह क्षैतिज आरक्षण के हकदार होंगे। कोर्ट ने एक अभ्यर्थी के मामले में एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की विशेष अपील को खारिज कर दिया।
उत्तरकाशी निवासी रंजीता राणा ने याचिका दायर कर कहा कि उसके द्वारा उत्तरकाशी में ग्राम्य विकास अधिकारी के पद के लिए आवेदन किया था। ओबीसी सीट नहीं होने की वजह से उसके द्वारा सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी के रूप मेें आवेदन किया। याचिका में कहा गया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा उसे इसलिए चयन योग्य नहीं माना कि उनके द्वारा सामान्य श्रेणी से आवेदन किया है। यहीं नहीं इसलिए कि उसके अंक सामान्य श्रेणी की कट ऑफ से काफी कम हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार उसको परीक्षा में 54 अंक मिले हैं जबकि कटऑफ 62 अंक की थी उत्तराखंड महिला श्रेणी की कटऑफ 48 अंक से अधिक थी। 29 मार्च को एकलपीठ ने मामले में फैसला देते हुए रंजीता राणा को महिला श्रेणी का लाभ देते हुए चयन करने का आदेश पारित किया था। एकलपीठ के आदेश को राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा विशेष अपील दायर कर चुनौती दी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की विशेष अपील निरस्त कर दी।
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