Move to Jagran APP

गंगा और यमुना नदी को जीवित मानव की तरह अधिकार: हाई कोर्ट

नैनीताल हाई कोर्ट ने गंगा और यमुना नदी को जीवित मानव की तरह अधिकार देने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने केंद्र से जल्द गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने के आदेश दिए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 03:46 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 05:07 AM (IST)
गंगा और यमुना नदी को जीवित मानव की तरह अधिकार: हाई कोर्ट
गंगा और यमुना नदी को जीवित मानव की तरह अधिकार: हाई कोर्ट
नैनीताल, [जेएनएन]: गंगा की अविरलता को लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक और अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने गंगा-यमुना नदियों को लीगलपर्सन/जीवित व्यक्ति की तरह अधिकार प्रदान करते हुए आठ सप्ताह में गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने का आदेश केंद्र सरकार को दिया है। साथ ही साफ किया है कि यदि राज्य सरकार इसमें किसी तरह का असहयोग करती है तो केंद्र संविधान के अनुच्छेद-365 की शक्ति का प्रयोग करने को स्वतंत्र है। इसके तहत केंद्र राष्ट्रपति को राज्य में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त होने का हवाला देकर संबंधित राज्य को दिशा-निर्देश दे सकता है और राज्य उस आदेश को मानने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने देहरादून के शक्तिनहर ढकरानी मे 72 घंटे के भीतर अतिक्रमण हटाने के आदेश देहरादून जिला प्रशासन को दिए हैं। 
कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को गंगा से संबंधित संपत्तियों का बंटवारा आठ सप्ताह में करने के सख्त निर्देश दिए हैं। हरिद्वार निवासी मोहम्मद सलीम ने जनहित याचिका दायर कर यमुना से निकलने वाली शक्तिनहर ढकरानी को अतिक्रमण मुक्त करने तथा उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के बीच नदियों व परिसंपत्तियों का बंटवारा करने की प्रार्थना की थी। पिछले साल पांच दिसंबर को कोर्ट ने तीन माह के भीतर गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने व परिसंपत्तियों का बंटवारा करने के आदेश पारित किए थे। 
साथ ही 12 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के अलावा गंगा नदी में खनन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी। इधर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत ने अदालत के आदेशों का अनुपालन नहीं होने संबंधी प्रार्थना पत्र दायर किया। जिसके माध्यम से बताया गया कि केंद्र ने न तो गंगा प्रबंधन बोर्ड का गठन किया और न ही संपत्तियों का बंटवारा किया। यहां तक कि अतिक्रमण भी नहीं हटाया गया है। इस मामले में कोर्ट ने जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। 
सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि न्यूजीलैंड में स्थित बांगक्यू नदी को जीवित मानव के समान अधिकार दिए गए हैं। इसलिए गंगा-यमुना को भी जीवित मानव की तरह अधिकार दिए जाने चाहिए। अदालत ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दोनों नदियों को जीवित मानव की तरह अधिकार प्रदान करते हुए गंगा-यमुना की तरफ से नमामि गंगे अथॉरिटी, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता को इस संबंध वाद दायर करने के लिए अधिकृत भी कर दिया है।
देश में पहली बार नदी को मिला संवैधानिक दर्जा
उत्तराखंड हाईकोर्ट अविरलता के साथ ही गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि गंगा-यमुना को जीवित व्यक्ति की तरह अधिकार प्रदान कर दिए गए। मतलब गंगा-यमुना को संवैधानिक दर्जा हासिल हो गया। हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज तिवारी ने अदालत के फैसले की व्याख्या करते हुए बताया कि जिस तरह जीवित व्यक्ति को संविधान में सम्मान से जीने, स्वतंत्रता के अधिकार होते हैं, उसी तरह गंगा को भी दर्जा मिल गया।
अब गंगा के नाम से हो सकते हैं मुकदमे
केंद्र सरकार की ओर से मामले में बहस में शामिल अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार अदालत के फैसले के बाद अब गंगा को संवैधानिक व्यक्ति का दर्जा हासिल हो गया। अब गंगा के खिलाफ तथा गंगा की ओर से मुकदमे सिविल कोर्ट तथा अन्य अदालतों में दाखिल किए जा सकते हैं। उनके अनुसार गंगा में कूड़ा फेंकने तथा पानी कम होने, गंगा में अतिक्रमण होने पर मुकदमा होगा तो गंगा की ओर से मुख्य सचिव, महाधिवक्ता, महानिदेशक निर्मल गंगा वाद दायर करेंगे जबकि यदि गंगा नदी के पानी से किसी का खेत बह गया या उसमें गंदगी आ गई तो संबंधित व्यक्ति गंगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकता है। अभी तक गंगा में प्रदूषण होने पर कोई व्यक्ति जनहित याचिका दायर करते थे। कोर्ट के आदेश के बाद अब गंगा को लीगल स्टेटस हासिल हो गया।
अभी नहीं तो कभी साफ नहीं होगी पतित पावनी
न्यायिक सक्रियता व केंद्र-राज्य में बनी नई सरकारों की गंगा को लेकर प्रतिबद्धता के बाद गोमुख से लेकर गंगासागर तक गंगा के प्रदूषण मुक्त होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाईकोर्ट का फैसला इस दिशा में अहम रहने वाला है। 

यह भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने अतिक्रमण का मामले में राज्‍य सरकार से मांगा जवाब

prime article banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.