उत्तराखंड स्थापना के 22 साल बाद भी कुमाऊं की ये बड़ी परियोजनाएं अब तक नहीं हो सकी पूरी
Uttarakhand Foundation Day 2022 उत्तराखंड आज 22 साल का हो गया। स्थापना दिवस प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन सूबे का कुमाऊं मंडल कई अधू ...और पढ़ें
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Uttarakhand Foundation Day 2022 : प्यास बुझाने को जमरानी, जाम से मुक्ति को रिंग रोड व फ्लाइओवर और पर्यटकों की दिक्कत को दूर करने के लिए बेहतर हाईवे समेत कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं, जिनका सीधा संबंध विकास और जनजीवन से जुड़ा है।
वादों का सिलसिला पहले की तरफ अब भी जारी है, लेकिन कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी और इसके आसपास से जुड़े इन परियोजनाओं की नींव अब भी वक्त को तलाश रही है। बुधवार को आम से लेकर खास सभी स्थापना दिवस के जश्न में नजर आएंगे। अगर अगले वर्ष तक ये 12 प्रोजेक्ट जमीन पर उतर जाएंगे तो स्थापना दिवस का उत्साह और दोगुना हो जाएगा।

रिंग रोड : अप्रैल 2017 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी के लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए 51 किमी लंबी रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी। शुरूआत में खर्चा 400 करोड़ रुपये आंका गया था। जो बाद में 1800 करोड़ पहुंच गया। तमाम सर्वे के बाद भी मामला आगे नहीं बढ़ सका।
आइएसबीटी (international stadium) : गौलापार में 75 करोड़ की लागत से आइएसबीटी का निर्माण होना था। काम शुरू होने के बाद जून 2017 में नर कंकाल का मुद्दा उछलने के साथ प्रोजेक्ट बंद हो गया। इस बीच नई जमीन ढूंढने के दावे हुए। दूसरी तरफ मामला हाई कोर्ट भी पहुंच गया। फिलहाल नई जगह काम शुरू नहीं हुआ।
चिडिय़ाघर (Zoo Gaulapar) : गौलापार में 412 हेक्टेयर जमीन पर अंतरराष्ट्रीय चिडिय़ाघर के नाम पर अब तक सुरक्षा दीवार और कृत्रिम झील ही मिल सकी। 2015 में प्रोजेक्ट शुरू होने पर लागत 80 करोड़ थी। मगर पहले बजट फिर नियमों ने काम अटका दिया। केंद्र से एक अड़ंगा तो हटा लेकिन जमीन पर मामला पुराने हाल में ही है।

जमरानी बांध (Jamrani Dam) : 1975 से चर्चा शुरू होने के बावजूद बांध अब तक धरातल पर नजर नहीं आया। हालांकि, पिछले दिनों प्रोजेक्ट पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल होना बड़ी उपलब्धि माना गया। मगर ग्रामीणों के विस्थापन को लेकर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही 2584 करोड़ का प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाएगा।
ड्राइविंग स्कूल (Driving School) : कुमाऊं का पहला मोटर ड्राइविंग स्कूल गौलापार में बनने पर आटोमेटिक तरीके से गाडिय़ों की फिटनेस होती। ड्राइविंग टेस्ट को ट्रैक बनता। गाड़ी सीखने को लेकर निजी ट्रेनिंग सेंटर नहीं जाना पड़ता। 2017 में 20 एकड़ जमीन चिन्हित होने के बाद अब तक इस मामले में प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।
पांच फ्लाइओवर (five flyovers) : ट्रैफिक दबाव शहर में गाडिय़ों को रेंगने को मजबूर कर देता है। त्योहार व टूरिस्ट सीजन में स्थिति अनियंत्रित हो जाती है। मुख्य सड़कों पर पांच जगह पर फ्लाइओवर निर्माण की संभावना तलाशने को कंपनी भी चुनी गई। लेकिन फिजिबिलिटी टेस्ट का बजट न मिलने से सर्वे अभी तक शुरू नहीं हुआ।
बंदरबाड़ा (Bandarbara) : पहाड़ से लेकर मैदान तक बंदरों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। खेती को चौपट होने से बचाने के लिए गौलापार के दानीबंगर में प्रदेश का सबसे बड़ा बंदरबाड़ा बनाने का प्रस्ताव 2018 से शुरू हुआ। 10 हजार बंदर क्षमता वाले प्रोजेक्ट को केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण से अनुमति बाद भी कुद नहीं हुआ।
हाईवे (Bareilly Road Highway) : बरेली रोड हाईवे का काम 2017 में शुरू होने के बावजूद अब तक पूरा नहीं हो सका। स्थानीय लोग धूल से परेशान है। रामपुर रोड हाईवे के चौड़ीकरण का मामला 58 करोड़ खाते में होने के बाद भी वनभूमि विवाद से अटका पड़ा है। इन दोनों सड़कों से रोजाना हजारों गाडिय़ों का आना-जाना रहता है।
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अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम (international stadium Gaulapar) : गौलापार में बना 700 करोड़ का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनकर तैयार हो गया। यहां इंडोर हाल में खेल गतिविधियां शुरू हो चुकी है। लेकिन अब तक स्टेडियम खेल विभाग को हस्तांतरित नहीं हुआ। जिस वजह से अब तक यहां कोई क्रिकेट मैच नहीं हो सका। न जाने कितने अधिकारी निरीक्षण कर लौट गए।
अंडरग्राउंड विद्युत तार (Underground cable) : बरसात व आंधी का दौर शुरू होने पर हर साल ऊर्जा निगम को हल्द्वानी में लाखों का नुकसान झेलना पड़ता है। खुली तारों की वजह से बिजली चोरी भी होती है। डेढ़ साल पहले हल्द्वानी-नैनीताल में लाइनों को अंडरग्राउंड करने को प्रस्ताव बना दो अरब की डिमांड की गई। इसके बाद प्रस्ताव ठप पड़ गया।
मानसिक अस्पताल (Mental Hospital Haldwani) : गेठिया सेनिटोरियम में कुमाऊं का पहला मानसिक अस्तपाल बनाने की कवायद चल रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने ब्रिडकुल को निर्माण एजेंसी भी तय कर दी है। फिलहाल यह डीपीआर स्तर पर है। सरकार इस योजना के लिए प्रयासरत है।
अस्पताल (Motinagar Hospital) : मोतीनगर में 250 बेड का नया अस्पताल बन रहा है। इसमें 40 प्रतिशत काम पूरा हाे चुका है। इसके साथ ही इसी जगह पर 100 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट बनाया जाना है। राजकीय मेडिकल कालेज में भी 150 बेड के अस्पताल का निर्माण भी तेजी से चल रहा है।

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