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    Uttarakhand Forest Fire: वायुसेना की ली गई मदद, भीमताल झील का पानी लिफ्ट कर जंगल की आग पर डाला

    Uttarakhand Forest Fire अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में लगी आग बुझाने के लिए शुक्रवार को वायुसेना के एमआइ 17 हेलीकाप्टर ने भीमताल झील से पानी भरकर अल्मोड़ा के जंगल में लगी आग पर डाला। शनिवार को दो हेलीकाप्टर की मदद से जंगल में लगी आग को बुझाने का काम किया जाएगा। वहीं भीमताल में हेलीकाप्टर के झील से पानी भरने के दौरान नाव का संचालन नहीं हुआ।

    By nirmal singh negi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 15 Jun 2024 09:01 AM (IST)
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    Uttarakhand Forest Fire: अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में लगी आग बुझाने को वायुसेना के हेलीकाप्टर की ली मदद

    संस, जागरण, भीमताल : Uttarakhand Forest Fire: अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में लगी आग बुझाने के लिए शुक्रवार को वायुसेना के एमआइ 17 हेलीकाप्टर ने भीमताल झील से पानी भरकर अल्मोड़ा के जंगल में लगी आग पर डाला। झील से चार बार पानी भरकर 9400 लीटर पानी जंगल की आग में डाला।

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    वायुसेना के विंग कमांडर शैलेश सिंह ने बताया कि सात हजार फीट की ऊंचाई पर भी आग से बढ़े तापमान और धुएं की धुंध के चलते जंगल में पानी डालने में परेशान हुई। पूर्वाह्न 11 से शाम चार बजे तक रेस्क्यू आपरेशन बंद रखा गया। इसके बाद तापमान कम होने पर फिर झील से दो बार पानी भरकर आग में डाला गया।

    शुक्रवार को 9400 लीटर पानी जंगल में छोड़ा गया। शनिवार को दो हेलीकाप्टर की मदद से जंगल में लगी आग को बुझाने का काम किया जाएगा। वहीं, भीमताल में हेलीकाप्टर के झील से पानी भरने के दौरान नाव का संचालन नहीं हुआ।

    चार श्रमिकों की मौत के बाद कार्रवाई होती तो नहीं होता यह हादसा

    बिनसर वनाग्नि में तीन वनकर्मियों व एक पीआरडी जवान की मौत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं, वन संरक्षक उत्तरी वृत्त व डीएफओ सिविल सोयम को निलंबित कर दिया है। अगर ऐसी कार्रवाई बीते दो मई को हवालबाग ब्लाक में वनाग्नि से चार नेपाली श्रमिकों की मौत के बाद की गई होती तो बिनसर अभयारण्य जैसी घटना नहीं होती।

    जनपद में जंगल की आग की चपेट में आकर बीते 41 दिनों के भीतर नौ लोगों की मौत हो गई है। बीते दो मई को हवालबाग ब्लाक स्थित स्यूनराकोट के जंगल में आग बुझाने के दौरान नेपाली श्रमिक दंपती समेत कुल चार लोगों की मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। न प्रशासन, न ही वन महकमा जागा।

    चुनावी शोर में नेता भी गायब दिखाई दिए। किसी भी राजनीतिक और सामाजिक संगठन की ओर से आवाज नहीं आई। इसके बाद 17 मई को डांगीखोला ग्राम पंचायत में आग बुझाने के दौरान एक ग्रामीण की मौत हो गई। लगातार हो रहे हादसे चेतावनी दे रहे थे। लेकिन वनाग्नि को लेकर खानापूर्ति चलती रही।

    अब बीते गुरुवार को वन विभाग के कर्मचारी व पीआरडी जवान वनाग्नि का शिकार हो गए। इसके बाद सरकार से लेकर वन महकमा जागा। शासन से लेकर प्रशासन तक अलर्ट हो गया। आग बुझाने को वायु सेना के हेलीकाप्टर को लगा दिया गया।