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कुमाऊं विश्वविद्यालय में करीब 50 फर्जी डिग्रियां मिली, मचा हड़कंप

कनाडा उच्चायोग की ओर से वल्र्ड एजुकेशन सर्विस के माध्यम से सत्यापन के लिए भेजी गई कुमाऊं विवि की एक दर्जन डिग्री फर्जी निकली हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 08:23 PM (IST)
कुमाऊं विश्वविद्यालय में करीब 50 फर्जी डिग्रियां मिली, मचा हड़कंप

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि की फर्जी डिग्री बनाकर विदेश में पढ़ाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। कनाडा उच्चायोग की ओर से वल्र्ड एजुकेशन सर्विस के माध्यम से सत्यापन के लिए भेजी गई कुमाऊं विवि की एक दर्जन डिग्री फर्जी निकली हैं। विवि के पास सत्यापन को करीब 50 मामले आए हैं। जिनके फर्जी होने का संदेह है। 12 जांच में फर्जी निकले हैं। अधिकांश डिग्रीधारी पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले हैं। यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हो सकता है, इसको देखते हुए विवि प्रशासन प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी में है। फिलहाल एजेंसी से डिग्रीधारकों के नाम पते मांगे गए हैं।

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दरअसल, विवि परीक्षा विभाग को विभिन्न स्रोतों से डिग्री सत्यापन को आती हैं। इसमें सरकारी नौकरी लगने या विदेश में पढ़ाई के लिए जाना मुख्य है। विवि परीक्षा विभाग को ओर से संदिग्ध डिग्री मिलने लगी तो सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. रितेश साह को शक हुआ। उन्होंने परीक्षा विभाग के पटलों से मिलान कराया तो शक गहराता गया। इसमें डिप्लोमा इन मेकेनिकल इंजीनियरिंग, प्रोफेशनल एमबीए, बीटेक ऐसी डिग्री थी जो विवि द्वारा दी ही नहीं जाती है। शुक्रवार को परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय पांडे ने जांच पड़ताल करने के साथ कुलपति प्रो. डीके नौडियाल को जानकारी दी। कुलपति ने बताया कि जल्द डिग्रीधारकों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कुलपति के अनुसार जो  12 डिग्रियां जांच में फर्जी निकली इसमें आठ छात्र व तीन छात्राएं हैं। शुक्रवार को दो डिग्री सत्यापन को मिली, उसमें से भी एक फर्जी निकली।

डिग्री में पूर्व कुलपति के हस्ताक्षर : सत्यापन को भेजी गई डिग्रियां प्रथम दृष्टया ही फर्जी निकली। इन डिग्रियां में पूर्व कुलपति प्रो. एचएस धामी को रजिस्ट्रार बताकर फर्जी दस्तखत हैं। जबकि निदेशक उच्च शिक्षा, असिस्टेंट रजिस्ट्रार परीक्षा के फर्जी हस्ताक्षर हैं। जबकि डिग्री में उपरोक्त के हस्ताक्षर नहीं होते।  2018 की एक डिगी में पूर्व कुलपति सीपी बर्थवाल के हस्ताक्षर है। जबकि प्रो बर्थवाल दस साल पहले कुलपति थे। महाराष्ट्र की छात्रा बीएड में दाखिले की इच्छुक है, उसकी भी भी डिग्री फर्जी निकली। डिग्रियां बीए, एमए की भी हैं। डिग्रियों का फार्मेट भी कुमाऊं विवि के फार्मेट से मेल नहीं खाता। मुहर व हस्ताक्षर भी फर्जी किए हैं। विवि को शक है कि फर्जी डिग्री बनाने का यह गिरोह चल रहा है। जो एक ही व्यक्ति हो सकता है। बहरहाल फर्जी डिग्री के भंडाफोड़ से विवि की साख पर भी बट्टा लगा है। यहां बता दें कि विवि स्तर पर फर्जी अंकतालिकाएं भी मिली थी।

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