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    नैनीताल की अपर व लोअर माल रोड पर आईं दरारों का नहीं हुआ स्थायी ट्रीटमेंट nainital news

    तल्लीताल डांठ के साथ ही लोअर और अपर मालरोड पर वाहनों का दबाव और भूगर्भिक हलचल से कई जगह दरारें पडऩे के साथ ही भूधंसाव जारी है।

    By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 03 Feb 2020 02:25 PM (IST)
    नैनीताल की अपर व लोअर माल रोड पर आईं दरारों का नहीं हुआ स्थायी ट्रीटमेंट nainital news

    नैनीताल, नरेश कुमार : करीब डेढ़ वर्ष पूर्व दरक कर झील में समाई लोअर मॉल रोड फिर खतरे में है। तल्लीताल डांठ के साथ ही लोअर और अपर मालरोड पर वाहनों का दबाव और भूगर्भिक हलचल से कई जगह दरारें पडऩे के साथ ही भूधंसाव जारी है। इसके बावजूद प्रशासन और संबंधित विभाग स्थिति को गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा। दरारों का ट्रीटमेंट महज कोलतार के घोल से की जा रही लीपापोती तक सीमित है। शासन से बजट न मिलने के कारण स्थायी ट्रीटमेंट अधर में लटका हुआ है। यदि शासन-प्रशासन इसी तरह उदासीन बना रहा तो शहरियों को फिर बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसका नगर के पर्यटन कारोबार पर भी बुरा असर पढ़ेगा।

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    कहीं फिर भारी न पड़ जाये लीपापोती

    मालरोड पर पड़ी दरारों को भरने के लिए लोनिवि कोलतार से लीपापोती कर रहा है। 18 अगस्त 2018 को लोअर मालरोड का करीब 25 मीटर हिस्सा नैनी झील में समा गया था, जिससे करीब एक माह से अधिक समय तक सड़क पर आवागमन बाधित रहा। करीब एक महीने पहले इस रोड पर दरारें फिर उभर आई थीं। इन दरारों को लोनिवि ने कोलतार के घोल से भर दिया था, मगर दरारों से उभरे संभावित खतरे का स्थायी समाधान अभी तक नहीं किया गया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन दरारों का स्थायी ट्रीटमेंट न कर कोलतार से भरना कहीं फिर महंगा न पड़ जाए।

    कई प्रस्तावों के बाद भी नही मिला बजट

    माल रोड पर पड़ी दरारों से संभावित खतरे को देखते हुए लोनिवि ने आइआइटी रुड़की से सर्वे कराकर स्थायी ट्रीटमेंट के लिए 41.12 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन भूगर्भीय सर्वे कर प्रस्ताव भेजने की मांग करते हुए शासन ने लोनिवि का प्रस्ताव वापस कर दिया था। इसके बाद शासन से करीब 58 लाख रुपये की डिमांड की गई, जिसमें से केवल 23.79 लाख ही मंजूर हुए। इससे क्षतिग्रस्त मालरोड का वैकल्पिक तौर पर उपचार किया गया।

    स्‍थायी ट्रीटमेंट अब तक नहीं हो सका

    स्थायी ट्रीटमेंट के लिए शासन से बजट मिल सके, इसके लिए भूमिगत सर्वे भी किया गया। दिसंबर 2018 से अप्रैल 2019 तक अलग-अलग छह स्थानों पर 20-50 मीटर की गहराई तक ड्रिल कर आंतरिक चट्टानों के नमूने लिए गए। परीक्षण के दौरान कठोर चट्टान की कमी और जमीन में पानी की अधिकता पाई गई। इस कारण एक बार फिर आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा प्रभावित रोड के हिस्से का सर्वे किया गया है।

    फरवरी में आईआईटी के विशेषज्ञों संग होनी है बैठक

    दीपक गुप्ता, अधिशासी अधिकारी लोनिवि ने बताया कि माल रोड के प्रभावित 160 मीटर हिस्से के स्थायी ट्रीटमेंट के लिए पांच फरवरी को आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र सिंह के साथ बैठक होनी है। इसमें पूर्व में किए गए अस्थायी ट्रीटमेंट को मजबूत बनाने को लेकर भी चर्चा की जाएगी, जिसके आधार पर स्थायी ट्रीटमेंट दिया जाएगा।

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