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कैलास मानसरोवर यत्रियों को अब ऊँ पर्वत के दर्शन भी आसानी से होंगे, नावीढांग तक बनी सड़क

कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में पड़ने वाले अंतिम भारतीय पड़ाव उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ जिले नावीढांग से नजर आने वाले अद्भुद ऊँ पर्वत के दर्शन अब सुगम होने जा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 11:14 AM (IST)
कैलास मानसरोवर यत्रियों को अब ऊँ पर्वत के दर्शन भी आसानी से होंगे, नावीढांग तक बनी सड़क
कैलास मानसरोवर यत्रियों को अब ऊँ पर्वत के दर्शन भी आसानी से होंगे, नावीढांग तक बनी सड़क

पिथौरागढ़, जेएनएन : कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में पड़ने वाले अंतिम भारतीय पड़ाव उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ जिले नावीढांग से नजर आने वाले अद्भुद ऊँ पर्वत के दर्शन अब सुगम होने जा रहे हैं। चीन सीमा तक निर्माणाधीन सड़क का कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस साल बची हुई सड़क का निर्माण होना है। अब तक पैदल पड़ाव दर पड़ाव ऊं पर्वत के दर्शन करने जाने वाले पर्यटकों को अब धारचूला से एक ही दिन में वाहन से पहुंच कर दर्शन करने के बाद आदि कैलास पहुंचना संभव हो जाएगा। बीआरओ चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क का निर्माण कर रही है। नावीढांग तक सड़क बन चुकी है।

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नाबीढ़ांग से दिखता है ऊँ पर्वत

मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है। इस लिहाज़ से हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी हुआ। कैलास मानसरोव की यात्रा के समय श्रद्धालुओं की इच्‍छा होती है कि ऊं पर्वत के दर्शन जरूर हो जाएं। कैलाश-मानसरोवर यात्रा के दौरान आखिरी भारतीय पड़ाव नाबीढ़ांग आता है, जो 14000 फीट की उंचाई पर है। यहां से ऊं पर्वत दिखाई पड़ता है। ऊं पर्वत नेपाल के दरलुचा और भारत के पिठौरागढ़ जिले (उत्तराखंड) में पड़ता है। इस पहाड़ का ये नाम इसलिए पड़ा कि जून से लेकर नवंबर तक जब बर्फ कुछ छंटती है, तो इस पर बर्फ से ऊं की आकृति बन जाती है। लगातार छह महीने नज़र आने के बाद पूरा पहाड़ ताजी बर्फबारी में ढंक जाता है और ऊं की आकृति गायब हो जाती है।

महज पांच घंटे में किया जा सकेगा दर्शन

इस मार्ग में अब मालपा के बूंदी के बीच चलसीता के पास लगभग तीन किमी सड़क कट रही है । बीआरओ ने इसी वर्ष सड़क का कार्य पूरा करने का दावा कर दिया है। सड़क बनते ही आधार शिविर माने जाने वाले धारचूला से ऊॅं पर्वत के दर्शन के लिए पहुंचने में मात्र पांच घंटे लगेंगे। ऊॅं पर्वत दर्शन के बाद  पर्यटक आदि कैलास के दर्शन भी कर सकेंगे। ऊं पर्वत से आदि कैलास की तरफ जाने वाले मार्ग में मात्र कुटी यांगती में पुल निर्माण होना है। कैलास मानसरोवर यात्रा कर चुके यात्री भी कैलास मानसरोवर के साथ ही आदि कैलास के दर्शन भी करने को इच्छुक रहते हैं।

ऊँ पर्वत और आदि कैलास पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

मार्ग तैयार होते ही यात्रियों के लिए यह संभव हो जाएगा। कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके आइटीबीपी के उप महानिरीक्षक एपीएस निंबाडिया बताते हैं कि गत वर्ष कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान वापसी में वह सुबह तिब्बत के तकलाकोट से चल कर भारत लौटने के बाद ऊँ पर्वत के दर्शन करने के बाद आदि कैलास पहुंचे थे। इस वर्ष सड़क के तैयार होते ही उच्च हिमालय में ऊॅ पर्वत और आदि कैलास पर्यटन को पंख लगा देगा। अब बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ सकेंगे।

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