केंद्र सरकार से खैरना बैराज बनाने की मिली सैद्धांतिक सहमति, ये होगा लाभ
नैनीताल को जलापूर्ति के साथ ही नैनी झील के संरक्षण के लिए खैरना में बैराज बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।
हल्द्वानी, जेएनएन : नैनीताल को जलापूर्ति के साथ ही नैनी झील के संरक्षण के लिए खैरना में बैराज बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। साथ ही सर्वे कर डीपीआर बनाने के लिए प्रस्ताव की फाइल वित्त विभाग को भेज दी है। पांच फरवरी को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की टीम बैराज बनाने की फिजीबिलीटी की जांच करेगी।
नैनी झील से नैनीताल की पेयजल निर्भरता खत्म करने के लिए खैरना में बैराज बनाकर लिफ्टिंग योजना से नैनीताल को पेयजल उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। दिसंबर में केंद्र सरकार ने खैरना बैराज व पेयजल योजना का प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश उत्तराखंड सरकार को दिए। इसके बाद सिंचाई विभाग ने खैरना बैराज व जल निगम ने पेयजल योजना का प्राथमिक प्रस्ताव बनाया। तीन जनवरी को 725 करोड़ रुपये की प्राथमिक डीपीआर बनाकर शासन को भेजी गई। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता एमसी पांडे ने बताया कि केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। सीडब्ल्यूसी की टीम के आने की सिंचाई विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को मुख्य अभियंता ने मातहतों की बैठक लेकर खैरना बैराज निर्माण की तैयारियों पर चर्चा की।
बैराज व पेयजल योजना बनाने में लगेगा साढ़े तीन साल का समय
सिंचाई विभाग के अफसरों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की सहमति के तुरंत बाद ही केंद्रीय वित्त विभाग बैराज व पेयजल योजना की डीपीआर बनाने के लिए बजट आवंटित करेगा। छह माह डीपीआर बनाने व तीन साल बैराज बनाने में लग सकते हैं। बैराज बनाने के साथ ही जल निगम भी पेयजल लाइन, टैंक आदि का काम शुरू करेगा। उम्मीद है कि बैराज बनने तक जल निगम भी पेयजल योजना बनाने का काम पूरा कर लेगा।
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