लापरवाही की हद : खनन का काम पूरा, मजदूरों को अब मिलेंगे सेफ्टी उपकरण व कंबल
सरकारी मदद की आस में लगे गौला व नंधौर के साढ़े नौ हजार मजदूरों को झटका लगा है। मानकों के हिसाब से मिलने वाले सेफ्टी उपकरण बंदी से ठीक पहले नसीब होंगे।
हल्द्वानी, जेएनएन : सरकारी मदद की आस में लगे गौला व नंधौर के साढ़े नौ हजार मजदूरों को झटका लगा है। हर साल मिलने वाला कंबल उन्हें अब नहीं मिलेगा। वहीं मानकों के हिसाब से मिलने वाले सेफ्टी उपकरण भी लगते हैं कि बंदी से ठीक पहले ही नसीब होंगे। अभी केवल इन उपकरणों की खरीद का टेंडर हुआ है। संभावना है कि लेबर वेलफेयर फंड का सिस्टम अब बंद हो सकता है। इसकी जगह जिला खनिज फाउंडेशन न्यास काम करेगा।गौला व नंधौर में हर साल हजारों की संख्या में बाहरी प्रदेशों से मजदूर काम को पहुंचते हैं। अधिकांश बिहार, झारखंड व यूपी के होते हैं। परिवार सहित हल्द्वानी पहुंचने वाले श्रमिक निकासी गेटों के आसपास झुग्गी बनाकर रहते हैं। जाड़ों की शुरुआत के संग शुरू होने वाला खनन मई तक चलता है। लिहाजा वन निगम को इन्हें कंबल देना होता है, ताकि ये सर्दभरी रातें कट सकें।
वहीं खदान एरिया में काम करने के दौरान किसी दुर्घटना की स्थिति में चोट न पहुंचे, इसलिए मास्क, हेलमेट, गलब्स व जूते भी देने का नियम है। लेकिन सिस्टम की लापरवाही की वजह से हर साल मजदूरों को इस राहत सामग्री की खनन सीजन के अंत तक राह ताकनी पड़ती है। गौला में खनन शुरू हुए चार महीने बीत चुके हैं और वन निगम की ओर से इन सामग्रियों के लिए टेंडर अब कराए गए हैं। हालांकि इसमें से कंबल इस बार हटा दिया गया है। ऐसे में सामान भी होली के बाद ही मजदूरों तक पहुंच पाएगा। हालांकि तब तक अधिकांश मजदूर अपने घरों को निकल जाते हैं।
नवंबर में मुख्यालय भेजा गया प्रस्ताव
मजदूरों को सेफ्टी उपकरण समय पर मिल जाए। इसके लिए नवंबर में स्थानीय अधिकारियों ने प्रस्ताव मुख्यालय भेजकर मंजूरी मांगी थी। बाद में शासनस्तर के जिला खनिज फाउंडेशन न्यास का गठन करने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। अब अगले सत्र से न्यास ही इस तरह के काम करेगा। आरएम वन निगम एमपीएस रावत के अनुसार जलौनी लकड़ी व स्वास्थ्य शिविर पूर्व में लग चुके हैं। कंबल को छोड़कर अन्य सामान वन निगम इस बार दे रहा है। फाउंडेशन न्यास के जरिये भविष्य में लेबर वेलफेयर के काम होंगे। न्यास में जमा फंड से स्थायी काम होंगे। गौला मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट ने बताया कि मजदूर हितों को लेकर हर बार लापरवाही बरती जाती है। कई बार समय से राहत सामग्री देने की मांग कर चुके हैं। अधिकारी मात्र आश्वासन देते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।