टीबी के मरीजों को अब प्राइवेट अस्पतालों में भी मिलेंगी सरकारी दवाइयां, जानिए क्या है योजना
टीबी के मरीजों को अब प्राइवेट अस्पताल की महंगी दवाइयां खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब इलाज भले ही प्राइवेट में चलता रहे लेकिन दवा सरकारी अस्पताल की और वो भी मुफ्त चलेगी।
हल्द्वानी, रजत श्रीवास्तव : टीबी के मरीजों को अब प्राइवेट अस्पताल की महंगी दवाइयां खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब इलाज भले ही प्राइवेट में चलता रहे, लेकिन दवा सरकारी अस्पताल की और वो भी मुफ्त चलेगी। दरअसल, प्राइवेट अस्पताल मरीजों को भर्ती करते हैं और इसकी सूचना जिला क्षय नियंत्रण केंद्र को देते हैं। सूचना देने के लिए अस्पताल वालों को 500 रुपये मिलते हैं। भर्ती करने के बाद दवाइयां भी प्राइवेट अस्पतालों से दी जाती थी, लेकिन महंगी होने के चलते ऐसे मरीजों की जेब पर भी भार बढ़ता है। ऐसे में जिला क्षय नियंत्रण केंद्र ने अब प्राइवेट अस्पतालों से संपर्क साधकर मुफ्त दवाइयों के लिए डिमांड मांगी है। मरीजों की संख्या के आधार पर उनको प्राइवेट अस्पताल में निश्शुल्क दवाइयां मिल जाएंगी।
अस्पतालों में मरीज
बेस अस्पताल में मौजूदा समय में टीबी के करीब 200 मरीज हैं। जिनको 1000 रुपये और इन रोगियों को लाने वाले को 500 रुपये दिए जा रहे हैं। जबकि प्राइवेट अस्पतालों में टीबी के मरीज करीब साढ़े तीन सौ मरीज हैं और नोटिफिकेशन देने वाले लोगों को भी रुपये दिए जा रहे हैं।
कितना पैसा मिला बकाया
जिला क्षय नियंत्रण केंद्र के अनुसार फरवरी में 15 अस्पतालों को एक लाख 76 हजार, फरवरी के अंत तक नौ अस्पतालों को 95 हजार 500 और मार्च में 11 अस्पतालों को 52 हजार रुपये दिया जा चुके हैं।
कोऑर्डिनेटर भेजेंगे डिमांड
प्रत्येक प्राइवेट अस्पताल में एक कोऑर्डिनेटर रखा गया है। जो टीबी के मरीजों की देखरेख करता है। अब अस्पतालों के कोऑर्डिनेटर डिमांड भेजेंगे। जिसके बाद केंद्र दवाओं की पूर्ति करेगा।
बदल गई है व्यवस्था
शिल्पी पांडेय, नगर अधिकारी, क्षय नियंत्रण केंद्र, हल्द्वानी ने बताया कि पहले प्राइवेट अस्पताल में भर्ती मरीजों का नोटिफिकेशन देने पर अस्पताल को रुपये दिए जाते थे और वह अपना इलाज करते रहते थे, मगर अब प्राइवेट अस्पतालों में ही सरकारी दवाइयां उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई हैं। जिसके लिए सभी से दवाओं की डिमांड भेजने के लिए कहा गया है।
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