Move to Jagran APP

मोबाइल की बैटरी ब्‍लास्‍ट होने से सूरज ने दोनों हाथ गंवाए, जानिए क्‍याें ब्‍लास्‍ट होती है बैटरी, कैसे इससे बचें

राखी के पर्व पर गुरुवार को कुमाऊं के सबसे बड़े हॉस्पिटल सुशीला तिवारी में बेहद भावुक करने वाला नजारा देखने को मिला। दरअसल चंपावत के पाटी से सूरज नाम का एक मरीज आइसीयू में भर्ती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 11:02 AM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 03:21 PM (IST)
मोबाइल की बैटरी ब्‍लास्‍ट होने से सूरज ने दोनों हाथ गंवाए, जानिए क्‍याें ब्‍लास्‍ट होती है बैटरी, कैसे इससे बचें
मोबाइल की बैटरी ब्‍लास्‍ट होने से सूरज ने दोनों हाथ गंवाए, जानिए क्‍याें ब्‍लास्‍ट होती है बैटरी, कैसे इससे बचें

हल्‍द्वानी जेएनएन : राखी के पर्व पर गुरुवार को कुमाऊं के सबसे बड़े हॉस्पिटल सुशीला तिवारी में बेहद भावुक करने वाला नजारा देखने को मिला। दरअसल चंपावत के पाटी से सूरज नाम का एक मरीज आइसीयू में भर्ती है। मोबाइल चार्जिंग के दौरान बैटरी ब्‍लास्‍ट होने से उसे अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े हैं। शरीर का अन्‍य हिस्‍सा भी झुलस गया है। इसकी खबर जब पिथौरागढ़ से एक मरीज के साथ पहुंची सावित्री को लगी तो उनका मन पसीज गया। उन्‍होंने सूरज के बेड पर पहुंचकर उसे राखी बांधी, तो सूरज भी बेहद भावुक हो गया। आईसीयू का ये नजारा देख स्‍टाफ के लोग भी भाव विह्रल हो गए। 
नेपाल मूल निवासी सूरज ने बताया कि हादसा चार माह पहले का है। चार्जिंग के दौरान फोन आने पर बिना चार्जिंग से निकाले ही उसने काॅल रिसीव कर ली थी। उसी दौरान मोबाइल में इतना तेज धमाका हुआ कि सबकुछ सुन्‍न हो गया। हादसे में उसके दोनों हाथों के चीथड़े उड़ गए थे। इस दौरान शरीर के अन्‍य हिस्‍से भी झुलस गए थे। चार महीन से वह एसटीएच की आइसीयू में ही भर्ती है। उसके साथ उसकी पत्‍नी और बच्‍चा है। सूरज ने बताया कि चंपावत के पाटी में मजदूरी करके अपनी परिवार का भरण पोषण करता था। लेकिन अब मजदूरी भी नहीं कर सकेगा। 

loksabha election banner

स्‍टाफ के लोगों ने दिखाई दरियादिली 
सूरज का इलाज डाॅ. हिमांशू कर रहे हैं। चार माह से सुशीला तिवारी में भर्ती सूरज ने बताया कि डॉ. साहब और स्‍टाफ के लोगों ने काफी सहयोग किया। यहां की नर्स मैडम भी अक्‍सर खाना लेकर आ जाती हैं। 

जानिए कैसे काम करती है मोबाइल की बैटरी
स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरी क्यों फटती है, यह जानने से पहले इस बैटरी के काम करने के तरीके को जानना बेहद जरूरी है। मोबाइल की बैटरी में लिथियम का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह काफी हल्का होता है और ज्यादा एनर्जी यानी ऊर्जा स्टोर कर सकता है। इस बैटरी में दो इलेक्ट्रोड होते हैं। एक पर धनावेश (पॉजिटिव चार्ज) वाले आयन होते हैं जिसे कैथोड कहते हैं। इसमें लिथियम भरा होता है। दूसरा इलेक्ट्रोड एनोड कहलाता है जिस पर ऋणावेश (नेगेटिव चार्ज) वाले आयन होते हैं। जब मोबाइल को चार्ज किया जाता है तो लिथियम आयन कैथोड से एनोड पर जाने लगते हैं और जब बैटरी डिस्चार्ज हो रही होती है तो ये आयन वापस एनोड से कैथोड पर चले जाते हैं। इन दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच रासायनिक पदार्थों (कैमिकल) का एक मिश्रण होता है जिसे इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं। इलेक्ट्रोलाइट कैथोड और एनोड के बीच आयनों के स्थानांतरण को आसान बनाकर करंट यानी धारा का प्रवाह करता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस दौरान कैथोड और एनोड एक दूसरे से कभी नहीं मिलने चाहिए। इन्हें दूर रखने के लिए इनके बीच में एक दीवार या विभाजक (सेपरेटर) लगाया जाता है।

कैथोड और एनोड के मिलने से होता है ब्‍लास्‍ट 
जानकारों के मुताबिक कैथोड और एनोड का मिलना किसी भी बैटरी के लिए सबसे बुरी स्थिति मानी जाती है।जब ये दोनों इलेक्ट्रोड मिलते हैं तो सारी ऊर्जा इनसे निकलकर इलेक्ट्रोलाइट में जाने लगती है। ऐसे बैटरी में गर्मी बढ़ने लगती है और इलेक्ट्रोलाइट इतना स्थायी और मजबूत नहीं होता है कि इस स्थिति को संभाल सके।बढ़े तापमान पर इलेक्ट्रोलाइट के कैमिकल बैट्री में उपलब्ध अन्य कैमिकल के साथ क्रिया (रिएक्शन) करना शुरू कर देते हैं। इसके नतीजे में ऐसी गैसें बनती हैं जो बैटरी की गर्मी को और बढ़ा देती हैं। ये रिएक्शन बार-बार होते हैं और बैट्री का तापमान तेजी से बढ़ता चला जाता है। इस सिलसिले को रसायन विज्ञान में ‘थर्मल रनवे’ कहते हैं जिसका अंत बैटरी में आग लगने या विस्फोट होने के साथ होता है। हालांकि, कभी-कभी इस स्थिति में कुछ मोबाइल फटने के बजाय बंद या शटडाउन भी हो जाते हैं। कई परिस्थितियां हैं जिनमें कैथोड और एनोड आपस में मिल सकते हैं या बैटरी फट सकती है। 

मोबाइल ओवरचार्जिंग
मोबाइल ओवर चार्जिंग की समस्या तब आती है जब बैटरी को कई घंटों तक चार्जिंग पर लगाकर छोड़ दिया जाता है। इस स्थिति में कैथोड से एनोड पर जरूरत से ज्यादा लिथियम आयन पहुंच जाते हैं। मोबाइल की बैटरी को एक रबड़ बैंड के उदाहरण से समझा जा सकता है। बैट्री को चार्ज करना ऐसा ही है जैसे रबड़ बैंड को खींचना और जब बैटरी का इस्तेमाल हो रहा होता है तो यह रबड़ बैंड के वापस अपनी स्थिति में आने जैसा होता है। जिस तरह से रबड़ को ज्यादा खींचने पर वह टूट जाता है उसी तरह ओवर चार्जिंग से एक साइड में इकट्ठा हुए ज्यादा लिथियम आयनों के कारण बैटरी भी फट सकती है। हालांकि ज्यादातर मोबाइल की बैटरियों में ओवर चार्जिंग से बचाने की सुविधा भी दी जाती है जिसमें फुल चार्ज होने पर बैटरी अपने आप चार्ज होना बंद हो जाती है। लेकिन, हाल के दिनों में इस व्यवस्था में भी दिक्कतें पाई गई हैं। इसी कारण कई जानकार कभी भी बैटरी को 100 प्रतिशत चार्ज न करने की सलाह भी देते हैं।

फास्ट चार्जिंग
पिछले दिनों कई मोबाइल कंपनियों ने बैटरी को तेजी से और जल्दी चार्ज करने की सुविधा (फास्ट चार्जिंग) भी अपने स्मार्टफोन या उसके चार्जरों में दी है। इस तरह से बैटरी में ज्यादा एनर्जी को कम समय में स्टोर किया जाता है। बैटरी की तकनीक से जुड़े जानकार इस सुविधा को भी काफी ज्यादा खतरनाक मानते हैं। वे इससे बैटरी में ‘प्लेटिंग’ की समस्या आने की बात कहते हैं। उनके मुताबिक दोनों इलेक्ट्रोड (कैथोड और एनोड) अंडे की क्रेट की तरह होते हैं। चार्जिंग के समय लिथियम आयन को अंडों की तरह एनोड की क्रेट में बने खांचों में व्यवस्थित होना होता है। जब बैट्री को आराम से चार्ज किया जाता है तो कैथोड से आने वाले आयनों के पास एनोड के इन खांचों में व्यवस्थित होने के लिए पर्याप्त समय होता है। लेकिन, जब फास्ट चार्जिंग होती है तो ये आयन तेजी से और ज्यादा संख्या में एनोड पर आते हैं जिससे ये एनोड की क्रेट के खांचों में सही से व्यवस्थित नहीं हो पाते। ऐसे में ज्यादातर आयन अंडे की क्रेट के बाहर एकत्र हो जाते हैं और फिर एक के ऊपर एक इकट्टा होकर सुईनुमा संरचना बना लेते हैं। इस संरचना को डेनड्राईट कहते हैं जो बैटरी के अंदर शार्ट सर्किट जैसी समस्या उत्पन्न कर देती है।

क्या चार्जिंग के समय फोन को इस्तेमाल करने से बैटरी फटती है?
पिछल सालों में हुई कई घटनाओं में पाया गया है कि फोन तब फटा जब वह चार्जिंग पर लगा हुआ था और उसे इस्तेमाल किया जा रहा था। ऐसे में कई लोगों का मानना है कि फोन को चार्ज करते समय इस्तेमाल करने की वजह से वह फट जाता है। हालांकि, तकनीक से जुड़े लगभग सभी जानकार इस बात से इनकार करते हैं। इन लोगों के मुताबिक एक अच्छी कंपनी के फोन के चार्जिंग के समय फटने की वजह यह नहीं हो सकती। इन लोगों के मुताबिक ऐसी घटनाएं होने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब लोग अपने मोबाइल में लोकल बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसी ही स्थिति तब भी होती है जब मोबाइल को किसी लोकल चार्जर से चार्ज किया जाता है।

मोबाइल चार्जिंग के समय इस बात का रखें विशेष ध्‍यान 
पिछले सालों में चार्जिंग के समय मोबाइल फटने की जो भी घटनाएं हुईं, उनमें से लगभग सभी में लोकल चार्जर का इस्तेमाल किया जा रहा था। जानकारों के मुताबिक लोकल चार्जर और लोकल बैटरी जरूरी मानकों को पूरा नहीं करते हैं। साथ ही इन्हें कई तरह की टेस्टिंग के बिना ही बाजार में उतार दिया जाता है। ये लोग यह भी बताते हैं कि इनमें बैटरी को ओवर चार्जिंग से बचाने के लिए सेफ्टी का कोई सिस्टम नहीं होता जिससे बैटरी फटने की आशका बढ़ जाती है। कई जानकार यह सलाह भी देते हैं कि स्मार्टफोन को हमेशा उसी चार्जर के साथ चार्ज करना चाहिए जो उसके साथ मिला हो। अगर ऐसा न हो सके तो कम से कम इस बात का ध्यान जरूर रहे कि जो चार्जर आप इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी आउटपुट वोल्टेज और करंट रेटिंग आपके फोन के साथ आए चार्जर से मैच करती हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.