कोसी नदी को बचाने के लिए भाबर से पर्वतीय क्षेत्रों की ओर बढ़ेंगे कदम nainital news
जीवनदायिनी कोसी को उसके उद्गम पहाड़ से उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे काशीपुर तक निर्मल-अविरल बनाए रखने के लिए जीआइएस सुरक्षा कवच देगा।
रामनगर, जेएनएन : जीवनदायिनी कोसी को उसके उद्गम पहाड़ से उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे काशीपुर तक निर्मल-अविरल बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) सुरक्षा कवच देगा। पहाड़ से ऊधम सिंह नगर तक लगभग 11 हजार गांव, 36 से ज्यादा छोटे-बड़े कस्बों को पेयजल व सिंचाई के लिए पानी देने वाली कौशिकी का जीआइएस आधारित मानचित्र भी तैयार कर लिया गया है। खास यह कि कोसी बचाने के लिए तराई-भाबर से भी पहाड़ की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे।
कोसी नदी पर तीन दशक के लंबे शोध व अध्ययन के बाद नेशनल जीयो स्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रो. जीवन सिंह रावत की पहल पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने गढ़वाल में दम तोड़ती गैरहिमानी रिस्पना व कुमाऊं में कोसी को पुनर्जीवित करने के लिए चुना था। डेढ़ वर्ष पूर्व हरेला पर्व पर काटली की पहाड़ी (ताकुला ब्लॉक) से महाअभियान शुरू किया गया था। इधर, प्रो. रावत ने जीआइएस के जरिए कोसी का मानचित्र तैयार कर लिया है। इसी आधार पर वैज्ञानिक तकनीक से पहाड़ से तराई भाबर तथा ऊधम सिंह नगर से नैनीताल जिले को उन पर्वतीय क्षेत्रों की ओर यांत्रिक जैविक व अन्य उपचार कि या जाएगा।
कहां कैसे गुजरती है कोसी
भरतकोट (भटकोट) की पहाड़ी से निकलने वाली कौशल्या गंगा, देवगाढ़, रुद्रगंगा व पीनाथ निचले भूभाग में चनौदा (सोमेश्वर) में कोसी बनती हैं। यहां से रातीघाट, काकड़ीघाट (अल्मोड़ा) से खैरना (नैनीताल) में प्रवेश करती है। तमाम क्षेत्रों से होती हुई कोसी सल्ट ब्लॉक (अल्मोड़ा) के लंबे दायरे में विलुप्त सी होकर मोहान होती हुई भूमिगत ढिकुली, गर्जिया रामनगर में अपने असल स्वरूप में आती है। रामनगर से कोसी सुल्तानपुर पट्टी होती हुई मुरादाबाद व काशीपुर के बीच रामगंगा में मिलती है जो पश्चिमी बरेली, कानपुर होकर प्रयागराज में महानदी गंगा में मिल जाती है।
आज रामनगर में जुटेंगे वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ
कोसी पुनर्जनन महाअभियान को तराई भाबर में गति देने के मकसद से सोमवार को रामनगर में गहन मंथन होगा। इसमें कुमाऊं स्तर पर गठित कोसी पुनर्जनन समिति के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. जीवन सिंह रावत मुख्य वक्ता रहेंगे। विशिष्ट अतिथि निदेशक यूसर्क प्रो. दुर्गेश पंत, प्रो. चारू पंत विभागाध्यक्ष भूगर्भ विज्ञान कुमाऊं विवि, वरिष्ठ वैज्ञानिक यूसर्क डॉ. मंजू सुंदरियाल विधायक दीवान सिंह बिष्ट, एसडीएम हर गिरी गोस्वामी अपने व्याख्यान देंगे।
कोसी नदी पर्वतीय क्षेत्रों से ही सूख रही
प्रो. जेएस रावत, शोध वैज्ञानिक एसएसजे परिसर अल्मोड़ा ने बताया कि कोसी नदी पर्वतीय क्षेत्रों से ही सूखती आ रही है। रामनगर में भी इसके तमाम सहायक जलधारे हैं। उन्हें भी पुनर्जीवित किया जाना जरूरी है। दूसरा, रामनगर के कोसी बैराज में भी जलस्तर लगातार घट रहा है। इसीलिए रामनगर में कार्यशाला कराई जा रही है। इसकी निर्मलता-अविरलता को ऊधम सिंह नगर में भी जागरूकता अभियान चलाएंगे।
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