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    राज्‍य आंदोलनकारियों ने कहा, ग्रीष्‍मकालीन की बजाए गैरसैंण को बनाएं स्‍थायी राजधानी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 05 Mar 2020 12:35 PM (IST)

    उत्तराखंड आंदोलन का केंद्र रहा गैरसैंण अब राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी कहलाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान यह ...और पढ़ें

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    राज्‍य आंदोलनकारियों ने कहा, ग्रीष्‍मकालीन की बजाए गैरसैंण को बनाएं स्‍थायी राजधानी

    हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड आंदोलन का केंद्र रहा गैरसैंण अब राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी कहलाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान यह घोषणा की है। गैरसैंण से पहाड़ के लोगों के साथ अलग राज्य की मांग को लेकर लंबा संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों की भावनाएं जुड़ी हैं। इस मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। हालांकि अधिकांश का कहना है कि इसे स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए। छोटे राज्य में दो-दो अस्थायी राजधानी का कोई औचित्य नहीं।

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    अस्थायी राजधानी का फैसला झुनझुने की तरह

    राजेंद्र बिष्ट, राज्य आंदोलनकारी ने बताया कि आंदोलन के दौरान एक ही मांग थी कि गैरसैंण को राजधानी बनाया जाए। अस्थायी राजधानी का फैसला झुनझुने की तरह है। इससे पहाड़ का विकास नहीं होगा। सोच बढ़ानी होगी।

    अंग्रेजों के तरीके पर सरकार

    मोहन पाठक, राज्य आंदोलनकारी का कहना है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी का चलन अंग्रेजों ने शुरू किया था। सरकार इसी लाइन पर चल रही है। बीस साल बाद फिर मजाक किया गया। शहीदों के राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों की किसी को चिंता नहीं।

    स्‍थायी राजाधानी से कम कुछ भी मान्‍य नहीं

    ललित जोशी, राज्य आंदोलनकारी ने कहा कि अधिकारियों की मौज मस्ती को दून को चुना गया। पहाड़ की राजधानी पहाड़ पर चाहिए और वह भी स्थायी। अस्थायी राजधानी पर करोड़ों खर्च होंगे। यह अफसरशाही के लिए एक पिकनिक स्पॉट बनकर रह जाएगी

    नेताओं व अफसरों की राजधानी

    अनीता बरगली, राज्य आंदोलनकारी घर छोड़कर अलग राज्य के लिए संघर्ष किया था। देहरादून राज्य के लोगों की नहीं बल्कि नेताओं व अफसरों की राजधानी है। गैरसैंण की घोषणा स्थायी तौर पर करते तो बेहतर रहता।

    पहाड़ के लोगों ने किया संघर्ष

    मोहिनी रावत, राज्य आंदोलनकारी ने बताया कि अलग राज्य के लिए बच्चों को छोड़कर जेल में तक रहना पड़ा था। युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सबने गैरसैंण के  लिए संघर्ष किया था। अस्थायी घोषणा का कोई मतलब नहीं। गैरसैंण से समझौता नहीं।

    फैसले का स्‍वागत : विजय भट्ट

    विजय भट्ट, राज्य आंदोलनकारी ने बताया कि इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। क्योंकि सालों बाद ही सही, आखिर पहल तो हुई। धीरे-धीरे गैरसैंण के साथ आसपास भी विकास होगा। गैरसैंण हमारी भावनाओं से जुड़ा है।

    गैरसैंण राज्य आंदोलन की आत्मा : जोशी

    राज्य आंदोलनकारी भुवन जोशी का कहना है कि ग्रीष्मकालीन वाले फैसले से लगता है कि गैरसैंण को सैर-सपाटे का केंद्र बनाया जाएगा। गैरसैंण राज्य आंदोलन की आत्मा रहा है। निर्णय स्थायी होना चाहिए। क्योंकि करोड़ों रुपये तो अब भी खर्च होंगे।

    स्‍थाई राजधानी बने : कैड़ा

    विधायक व राज्य आंदोलनकारी राम सिंह कैड़ा ने पहल के लिए सदन में ही सीएम का धन्यवाद करने के साथ भविष्य में गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग भी रखी। गैरसैंण से पहाड़ की भावनाएं जुड़ी है।

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