सौर सक्रियता ने तोड़ा 23 सालों का रिकार्ड, अगले साल अक्टूबर तक रहेगा चरम पर; क्या है इसका मतलब?
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के पूर्व कार्यवाहक निदेशक व सौर विज्ञानी डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि वर्तमान 25वां सौर चक्र अपेक्षा से कहीं अधिक छलांग लगा रहा है। सूर्य की सतह पर आए दिन विस्फोट हो रहे हैं और जबरदस्त ज्वालाएं भड़क रही हैं। तीन-चार अगस्त को भी दो विस्फोट हुए हैं। जिनमें मध्यम (एम) श्रेणी की दो ज्वालाएं उठी हैं।

रमेश चंद्रा, जागरण नैनीताल। 25वें सौर चक्र में सूरज की गतिविधियां उफान पर हैं। इस वर्तमान चक्र में सूर्य की सतह पर उठ रही सौर भभूकाएं और विस्फोट पिछले 23 साल में सर्वाधिक हो चुके हैं। अक्टूबर 2025 तक यह चक्र चरम पर रहेगा। ऐसे में सनस्पाट के साथ जन्म लेने वाली ज्वालाएं पिछली सदी के भी रिकार्ड तोड़ सकती हैं।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के पूर्व कार्यवाहक निदेशक व सौर विज्ञानी डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि वर्तमान 25वां सौर चक्र अपेक्षा से कहीं अधिक छलांग लगा रहा है। सूर्य की सतह पर आए दिन विस्फोट हो रहे हैं और जबरदस्त ज्वालाएं भड़क रही हैं। तीन-चार अगस्त को भी दो विस्फोट हुए हैं। जिनमें मध्यम (एम) श्रेणी की दो ज्वालाएं उठी हैं।
आने वाले दिनों में भी विस्फोटों का दौर जारी रहने का अनुमान है। डॉ. वहाबउद्दीन के अनुसार सनस्पाट की संख्या 23 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जिस तरह 2001 में सनस्पाट सक्रिय थे, उसी तरह 2024 में भी नजर आ रहे हैं।
सूर्य पर नजर रखने वाली स्पेस एजेंसी रायल आब्जर्वेटरी आफ बेल्जियम के सोलर इन्फ्लुएंस डेटा एनालिसिस सेंटर के अनुसार इस बार जुलाई में औसत सनस्पाट की संख्या 196.5 दर्ज की गई। इसी तरह की स्थिति दिसंबर 2001 में देखी गई थी। वर्तमान सौर चक्र दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था और तब विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि यह सौर चक्र 24वें चक्र की तरह कमजोर रहेगा। मगर इसने पूर्वानुमान गलत साबित कर दिया और 24वें सौर चक्र को पीछे छोड़ दिया है।
साथ ही, अब 20वीं शताब्दी के शक्तिशाली चक्रों को टक्कर देने की ओर आगे बढ़ रहा है। इस चक्र की तीव्रता इस कदर है कि पिछले कुछ महीनों में दक्षिण प्रशांत, मध्य अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में अरोरा के साथ भू-चुंबकीय सौर तूफानों को देखा है।
सेटेलाइट व इलेक्ट्रिकल उपकरणों के बचाव की निगरानी कर रहे डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि शनिवार को सूर्य की सतह पर सनस्पाट संख्या एआर 3775 से एम-7 श्रेणी की ज्वाला उभरी है। जबकि सूर्य के ठीक पीछे पूर्वी हिस्से पर अज्ञात सनस्पाट से एम 5.4 श्रेणी क्षमता वाले विस्फोट के साथ ज्वाला उठी है। भारतीय सोलर मिशन आदित्य एल-1 व नासा की सोलर डायनामिक आब्जर्वेटरी (एसडीओ) समेत दुनिया की तमाम सोलर वेधशालाएं सूर्य की निगरानी कर रही हैं। सूर्य की निगरानी का उद्देश्य पृथ्वी के ओर आने वाले सौर तूफानों से आसमान में हमारे सेटेलाइट्स को सुरक्षा प्रदान करना है।
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