7.6 किमी प्रति सेकंड की गति से धरती के निकट से गुजर रहा लघुग्रह
बेहद खतरनाक माना जा रहा यह चट्टानी पिंड धरती के निकट से गुजर रहा है। करीब 7.6 किमी प्रति सेकंड की तेज रफ्तार से यह गुजर जाएगा। हालांकि इससे कोई खतरा नहीं है।
नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: वैज्ञानिकों से आंख मिचोली करता एक लघुग्रह धरती के करीब आ रहा है। इसके पाथ की सटीक जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं मिल पाई है। बेहद खतरनाक माना जा रहा यह चट्टानी पिंड धरती के निकट से गुजर रहा है। करीब 7.6 किमी प्रति सेकंड की तेज रफ्तार से 11.30 बजे यह गुजर जाएगा। इसके धरती से टकराने की आशंका से वैज्ञानिकों ने इन्कार किया है।
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलूरू के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर ने बताया कि इस लघुग्रह का नाम 2012 टीसी 4 है। वर्ष 2012 में धरती के करीब आने पर इसका पता चला था। तब यह 94 हजार किमी की दूरी से होकर अपने पथ पर आगे निकल गया था। अब पुन: धरती के नजदीक आ रहा है। आकार में यह चट्टानी पिंड है।
इसके पृथ्वी के करीब होकर गुजरने से वैज्ञानिक चौकन्ने हो गए हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि इसके निश्चित पाथ का सही पता नहीं चल पाया है। अभी तक की गई गणनाओं के पूर्वानुमान के अनुसार यह पिंड 6800 किमी से लेकर 2.7 लाख के बीच कहीं से भी गुजर सकता है। इस अनिश्चितता को देखते हुए नासा समेत कई स्पेस एजेंसियां इस पिंड पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।
यह अपने अक्ष पर घूमता है। फिलहाल इसकी चमक बहुत फीकी है और 7.6 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से अपने पथ पर आगे बढ़ रहा है। किसी भी पिंड के धरती के इतने नजदीक से होकर गुजरना खतरनाक व चिंता की विषय है। अलबत्ता वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इसकी निकटता लघुग्रहों के बारे में बहुत सारी जानकारी भी दे जाएगी।
वैज्ञानिकों की है पैनी नजर
आसमान में चार सौ से एक हजार किमी के ऊंचाई के बीच भ्रमण करते हमारे कृत्रिम उपग्रह हैं। जबकि 35,786 किमी की ऊंचाई भू-स्थैतिक उपग्रह हैं। ये सेटेलाइट्स मानव जीवन की जरूरत व विकास का अभिन्न हिस्सा हैं। किसी भी आकाशीय पिंड का पृथ्वी के नजदीक आना उनकी सुरक्षा की दृष्टि से कतई ठीक नहीं है। जिसे ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक नजर इन पर बनी रहती है।
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