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    स्मैक तस्कर को 20 साल का कठोर कारावास, दो लाख जुर्माना भी लगाया nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:28 PM (IST)

    द्वितीय अपर जिला जज व विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने नौ सौ ग्राम स्मैक तस्करी में अभियुक्त को दोषी करार देेते हुए 20 साल का कठो ...और पढ़ें

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    स्मैक तस्कर को 20 साल का कठोर कारावास, दो लाख जुर्माना भी लगाया nainital news

    नैनीताल, जेएनएन : द्वितीय अपर जिला जज व विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने नौ सौ ग्राम स्मैक तस्करी में अभियुक्त को दोषी करार देेते हुए 20 साल का कठोर कारावास व दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में वादी मुकदमा व एसएसआइ कमलेश भट्ट को एसएसपी ऊधमसिंह नगर के माध्यम से सचेत किया है कि भविष्य में एनडीपीएस एक्ट के प्रावधान व नार्कोटिक ब्यूरो ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्रवाई करें। कोर्ट के आदेश के बाद जमानत प्राप्त दोषी को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

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    2013 में दोषी हुआ था गिरफ्तार

    अभियोजन के अनुसार 29 जुलाई 2013 को रामनगर पुलिस टीम हल्दुआ बैरियर को रवाना हुई तो काशीपुर की तरफ से बैगनी रंग की डिस्कवर बाइक आती दिखी। रुकने का इशारा करने पर चालक ने बाइक को बैरियर पर टकरा दिया। शक होने पर पूछताछ की तो उसने नाम शरीफ अहमद निवासी गुलरघट्टी रामनगर बताया। जबकि तलाशी में उससे मोबाइल तथा नौ सौ ग्राम स्मैक बरामद हुई। उसने यह भी बताया कि गजरौला से खरीदकर वह स्मैक को रामनगर, काशीपुर, पीरूमदारा में 12 हजार रुपये प्रति तोला बेचता है। पुलिस ने एनडीपीएस के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

    आरोप साबित करने के लिए आठ गवाह पेश

    कोर्ट में चार्जशीट दायर होने के बाद एडीजीसी पूजा साह ने आरोप साबित करने के लिए आठ गवाह पेश किए। गुरुवार को सजा पर बहस करते हुए डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि अभियुक्त से वाणिज्यिक मात्रा में मादक पदार्थ बरामद हुआ है। यह अपराध सामाजिक भी है, इसके दुष्परिणाम को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस सुनने व गवाहों के बयानों के आधार पर शरीफ अहमद को एनडीपीएस के प्रावधानों के तहत दोषी करार देते हुए 20 साल कठोर कारावास व दो लाख रुपये की जुर्माने की सजा सुनाई।

    कोर्ट की टिप्पणी

    सभी प्रक्रियात्मक त्रुटि दोषमुक्ति का आधार नहीं हो सकती। केवल वही प्रक्रियात्मक त्रुटि के आधार पर अभियोजन की कहानी दूषित होती है, जो वैधानिक रूप से आवश्यक हो।

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