एसआइटी प्रमुख ने कहा, छात्रवृत्ति मामले में हुआ सरकारी धन का दुरुपयोग
सोमवार को घोटाले की जांच कर रहे एसआइटी प्रमुख डा. के. मंजूनाथ ने हाई कोर्ट में हलफनामा पेश कर स्वीकार किया कि छात्रवृत्ति वितरण में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।
नैनीताल, जेएनएन : एससी-एसटी जनजाति के छात्र-छात्राओं की 500 करोड़ छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। सोमवार को घोटाले की जांच कर रहे एसआइटी प्रमुख डा. के. मंजूनाथ ने हाई कोर्ट में हलफनामा पेश कर स्वीकार किया कि छात्रवृत्ति वितरण में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने अगली तिथि नौ जनवरी की तिथि नियत की है। साथ ही मुख्य सचिव से विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई के दौरान एसआइटी के अध्यक्ष डॉ. के. मंजूनाथ ने कोर्ट को अवगत कराया था कि जांच के लिए उन्होंने जिला समाज कल्याण अधिकारी व सयुक्त निदेशक से सूचना मांगी, परंतु उनको अभी तक इस सबंध में कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है और न ही जांच में सहयोग किया गया। एसआइटी ने पूर्व में जितनी भी जांचें कीं हैं, उनके दस्तावेज उनको सामान्य व्यक्तियों के द्वारा उपलब्ध कराई गयी थी और उन्हीं के आधार पर जांच चल रही है। इस मामले में देहरादून निवासी रवींद्र जुगरान ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश के हजारों अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रो को केंद्र सरकार छात्रवृत्ति देती है, परंतु समाज कल्याण विभाग ने इसकी रकम विद्यार्थियों को न देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। इसमें हजारों छात्रों के मामले हरिद्वार व देहरादून जिले में सामने आए हैं। इस घोटाले में लगभग पांच सौ करोड़ से अधिक का घपला हुआ है। महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक समाज कल्याण व अपर सचिव समाज कल्याण की नोटिंग के आधार पर इसके घपले के तार राज्य से बाहर भी जुड़े है। लिहाजा इस पूरे प्रकरण की सीबीआइ से जांच कराई जाए।
याचिकाकर्ता ने बताया कि 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रकरण की एसआइटी से जांच कराई थी, परंतु दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि 20 माह बीत जाने के बाद पहली दिसंबर 2018 को एसआइटी ने सिडकुल हरिद्वार थाने में देहरादून व हरिद्वार जिले में हुए घपले के संबंध में आइपीसी की धारा 420 का मुकदमा दर्ज कराया है। खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व में मुख्य सचिव को स्वत: ही पक्षकार बनाया था और एसआइटी के इंचार्ज डॉ. के. मंजूनाथ और अपर सचिव रणवीर सिंह को दस्ती नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पूर्व में जांच कर रहे अपर सचिव समाज कल्याण को इससे हटाए जाने का भी संज्ञान लिया था। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में एसआइटी प्रमुख मंजूनाथ पेश हुए और उन्होंने हलफनामा प्रस्तुत किया।
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