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    वैज्ञानिकों ने किया एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन का निरीक्षण, कहा- जल्द लिक्विड मिरर टेलीस्कोप भी करने लगेगी काम

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 22 Apr 2019 12:10 AM (IST)

    आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की गवर्निंग काउंसिल बॉडी के सदस्यों ने शनिवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा के साथ देवस्थल में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन का निरीक्षण किया।

    वैज्ञानिकों ने किया एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन का निरीक्षण, कहा- जल्द लिक्विड मिरर टेलीस्कोप भी करने लगेगी काम

    नैनीताल, जेएनएन : आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की गवर्निंग काउंसिल बॉडी के सदस्यों ने शनिवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा के साथ देवस्थल में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों ने कहा कि देश के पास 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन की अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध है। इसकी बेहतरीन देखरेख बेहद जरूरी है। शनिवार को काउंसिल के सदस्य वैज्ञानिक तथा डीएसटी सचिव देवस्थल पहुंचे। इस दौरान एरीज के निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन ने उन्हें बताया कि दूरबीन की स्थापना के बाद टेस्टिंग में लिए गए प्रथम चरण के चित्र उत्साहजनक रहे हैं। भविष्य में बेहतर परिणाम पाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लिक्विड मिरर टेलीस्कोप भी बनकर तैयार है। जल्द ही यह कार्य करना शुरू कर देगी। वैज्ञानिकों के दल ने 3.6 मीटर व्यास के टेलीस्कोप के संचालन के बारे में कई जानकारियां हासिल कीं। एरीज के डॉ. मनीष नाजा ने एसटी रडार की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बनकर तैयार है। इन दिनों रडार की टेस्टिंग की जा रही है। यह आसमान से 20 किमी की ऊंचाई में हवा का स्थिति, आद्र्रता समेत कई महत्वपूर्ण जानकारियां देगा। हिमालय के मौसम पर नजर रखने के लिए यह रडार महत्वपूर्ण साबित होगा।

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    एरीज के चेयरमैन प्रो. एसके जोशी ने कहा कि एरीज के पास अब बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होने जा रही हंै। इनकी देखरेख पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। मौसम संबधी शोध कार्य में यह रडार मील का पत्थर साबित होगा। टीम ने संपूर्णानंद टेलीस्कोप का भी निरीक्षण किया। इस अवसर पर गवर्निंग काउंसिल के सदस्य प्रो. शिवाजी राहा, वित्त मंत्रालय के सलाहकार प्रो. नाम पूरी, प्रो. अभिषेक चंद्र, प्रो. पीसी अग्रवाल, डॉ. शशिभूषण पांडे, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. संतोष जोशी, डॉ. अमितेश ओमर, बेल्जियम के वैज्ञानिक डॉ. जीआन सूडेज, आना, एलेक्सीज, सरगी व कनाडा के पॉल हिक्स, हरीश तिवारी समेत एरीज के वैज्ञानिक आदि मौजूद थे।

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