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    कैट के चेयरमैन ने मैग्‍सेसे अवार्डी संजीव के केस को दुर्लभ श्रेणी का बताते हुए फाइल लौटाई

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 20 Apr 2019 10:13 AM (IST)

    चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के चरित्र पंजिका में जीरो अंकन करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चल रहे केस में नया मोड़ आ गया है।

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    कैट के चेयरमैन ने मैग्‍सेसे अवार्डी संजीव के केस को दुर्लभ श्रेणी का बताते हुए फाइल लौटाई

    नैनीताल, जेएनएन : चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के चरित्र पंजिका में जीरो अंकन करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चल रहे केस में नया मोड़ आ गया है। कैट के चेयरमैन ने संजीव के केस को दुर्लभ श्रेणी का बताते हुए कहा कि इस केस से कैट चेयरमैन के पद की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई थी। कैट चैयरमैन ने वादी को दूसरे सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने व रजिस्ट्रार को उन्हें केस से संबंधित फाइल लौटाने के निर्देश दिए हैं। देश में यह अपने तरह का पहला मामला है जब न्यायाधीश ने केस की फाइल वादी को लौटाने के आदेश पारित किए हों।

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    दरअसल, पिछले साल जुलाई में कैट के चेयरमैन न्यायमूर्ति एल नरसिम्हन रेड्डी द्वारा मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संजीव चतुर्वेदी के सीआर से संंबंधित नैनीताल बेंच में चल रही सुनवाई को छह माह के लिए स्थगित कर दिया था। पिछले साल 21 अगस्त को नैनीताल हाई कोर्ट ने आदेश को रद करने के साथ ही केंद्र सरकार पर 25 हजार जुर्माना लगा दिया था। हाई कोर्ट ने साफ किया था कि संजीव के मामले की सुनवाई कैट की नैनीताल बेंच में ही होगी। एम्स दिल्ली द्वारा इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए केंद्र पर 25 हजार जुर्माना और लगा दिया। साथ ही साफ किया कि कैट चेयरमैन की न्यायिक शक्तियां अन्य सदस्यों के बराबर ही हैं। इसके बाद जस्टिस रेड्डी द्वारा मामले की सुनवाई जारी रखी तो 20 फरवरी को हाई कोर्ट द्वारा कैट चेयरमैन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस के खिलाफ जस्टिस रेड्डी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर तीन माह के लिए रोक लगा दी। 29 मार्च को जस्टिस रेड्डी ने खुद को इस मामले से अलग करने का फैसला किया।

    संजीव के मामलों से अलग हट चुके हैं जज

    चर्चित अफसर संजीव के केस से चार न्यायाधीश खुद को अलग कर चुके हैं। 2013 में संजीव द्वारा हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनकी सरकार के अन्य मंत्रियों व अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई जांच को लेकर दायर याचिका से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अब मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को अलग कर लिया था। इस केस में हरियाणा सरकार की ओर से प्रसिद्ध अधिवक्ता आर नरीमन पेश हुए थे। अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने अपने को इस मामले से अलग कर लिया। जून 2017 को नैनीताल हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोजफ इस मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए केस कैट में भेजने के आदेश पारित किए थे। अप्रैल 2018 में शिमला की निचली अदालत के जज सिद्धार्थ ने संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विनीत चौधरी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में खुद को अलग कर लिया था। जस्टिस रेड्डी को छोड़कर अन्य द्वारा खुल को अलग रखने के मामले का खुलासा नहीं किया।

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