Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भीमताल झील की घटती गहराई का अध्ययन करने के लिए पहुंचे वैज्ञानिक

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 17 Dec 2018 06:57 PM (IST)

    भीमताल झील की घटती गहराई कारण जानने के लिए रुड़की से वैज्ञानिक यहां पहुंच गए हैं। उन्होंने शोध के लिए झील की 1700 मीटर लंबाई को 60-60 मीटर क्षेत्र में विभाजित किया।

    भीमताल झील की घटती गहराई का अध्ययन करने के लिए पहुंचे वैज्ञानिक

    भीमताल, जेएनएन : भीमताल झील की घटती गहराई कारण जानने के लिए रुड़की से वैज्ञानिक यहां पहुंच गए हैं। उन्होंने शोध के लिए झील की 1700 मीटर लंबाई को 60-60 मीटर क्षेत्र में विभाजित किया। इसके बाद सिंचाई अनुसंधान की छह सदस्यीय टीम ने प्रत्येक बीस मीटर की दूरी पर झील की गहराई मापनी शुरू कर दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छह सदस्यीय टीम के अनुसार अध्ययन समुद्र तल से ऊंचाई पर केंद्रित होगा। इसमें वर्तमान में समुद्र तल से झील की गहराई का अध्ययन किया जाएगा फिर इसके बाद के पांच-पांच साल के अध्ययन के दौरान झील की गहराई में आई कमी या फिर बढ़ोत्तरी का आकलन किया जाएगा।  उपलब्ध आंकड़ों में इस झील की समुद्र तल से ऊंचाई 1370 मीटर है। वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान में झील में किसी भी बाहरी स्रोत व नालों आदि से पानी गिरने की संभावना नहीं है। इसलिए सिल्ट जमा होने की संभावना काफी कम है। वैज्ञानिकों के अनुसार झील से संबधित सर्वे और शोध रिपोर्ट विभाग को सौंपी जायेगी। दल में वैज्ञानिक अजय कुमार, सुनील कुमार, नितिन कुमार, डीएस चौहान, राजा जोशी, गोविंद राम हैं।

    1997 में बना पहला शोध पत्र

    भीमताल झील पर पहला शोध पत्र 1997 में कुमाऊं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया का प्रकाशित हुआ था। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के तहत जलवायु परिवर्तन पर किए गए शोध के मुताबिक एक हजार वर्ष में भीमताल झील में 30 सेंटीमीटर सिल्ट जमा हो रही है। प्रो. कोटलिया बताते हैं कि 35 हजार साल पहले नगारी गांव से नौकुचियाताल तक एक ही झील थी। जो कि 3000 साल पहले भूगर्भीय हलचल के कारण छोटी-छोटी झीलों में परिवर्तित हो गई।

    यह भी पढ़ें : मुनस्‍यारी का हिमपात देखने आ रहे हैं तो पढ़ लें ये खबर, वरना होंगे परेशान