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    Road Safety: कमिश्नर बोले-सड़क सुरक्षा को अफसरों का फील्ड में उतरना जरूरी, टेक्नोलाजी का बढ़ाना होगा इस्तेमाल

    Road Safety with Jagran नींद नशा तेज रफ्तार और ओवरलोडिंग वाहन दुर्घटना का बड़ा कारण है। इसके बावजूद लोग अनदेखी करने लगते हैं। इसे रोकने के लिए कमिश्नर दीपक रावत ने अधिकारियों के फील्ड में उतरने को जरूरी बताया। पेश है बातचीत की संक्षिप्त रिपोर्ट -

    By ganesh joshiEdited By: Rajesh VermaUpdated: Wed, 30 Nov 2022 11:45 AM (IST)
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    सड़कें पूरी तरह दुरुस्त होने की रिपोर्ट मिलने के बाद वाहनों के संचालन की अनुमति दी जाएगी।

    हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : Road Safety with Jagran: हर कोई जानता है कि नींद, नशा, तेज रफ्तार और ओवरलोडिंग वाहन दुर्घटना का बड़ा कारण है। इसके बावजूद लोग अनदेखी करने लगते हैं। दूसरा बड़ा कारण जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी, लापरवाही और घटना के बाद बड़ी कार्रवाई न होना भी है। ऐसे में व्यवस्था को लेकर तमाम सवाल खड़े होते हैं।

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    इन विषयों पर जागरण संवाददाता गणेश जोशी ने कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से बातचीत की। कमिश्नर ने सख्त कार्रवाई के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों के फील्ड में उतरने को जरूरी बताया। साथ ही दैनिक जागरण के इस अभियान की सराहना की। पेश है संक्षिप्त रिपोर्ट : -

    सवाल : वाहन दुर्घटनाओं के मुख्य कारण क्या है? इसमें ज्यादा लापरवाही किसकी नजर आती है?

    जवाब : सबसे पहले चालक की गलती मानी जाती है। जहां दोपहिया वाहन चालक एक हाथ से मोबाइल और एक हाथ से बाइक पकड़े रहता है। वहीं कार चलाने वाले भी नींद, नशा, तेज रफ्तार व तनाव की स्थिति में वाहन चलाते हैं। यह स्थिति सड़क सुरक्षा के लिए खतरनाक है। हां, सड़कों की डिजाइन, ब्लैक स्पाट और इनफोर्समेंट को लेकर भी दिक्कतें आती हैं।

    सवाल : सड़क सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों में समन्वय नहीं दिखता है। अक्सर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की परंपरा है। ऐसा क्यों है?

    जवाब : लोग जानने के बावजूद लापरवाही करते हैं। इसमें बड़ी जिम्मेदारी परिवहन विभाग की है। जिलाधिकारियों की है। क्योंकि सड़क सुरक्षा समिति बनी हुई। इस समिति की हर महीने बैठक होती है, जिसमें दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने का काम करना होता है। जिम्मेदार अधिकारियों के बीच समन्वय बनाने का होता है। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने से काम नहीं चलेगा। इस पर नियमानुसार सख्ती बरतने की आवश्यकता है। जब वरिष्ठ अधिकारी फील्ड में उतरेंगे तो बहुत फर्क पड़ेगा। नियमों का पालन होगा और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।

    सवाल : दुर्घटनाओं को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए? टेक्नोलाजी की मदद क्यों नहीं ली जाती है?

    जवाब : अब जरूरत टेक्नोलाजी का इस्तेमाल बढ़ाने की है। नियमों के उल्लंघन पर सीधे आनलाइन चालान हो जाना चाहिए। दिल्ली आदि शहरों में इस तरह की टेक्नोलाजी इस्तेमाल हो रही है। इससे बहुत फर्क पड़ जाएगा। इसके बाद नशा आदि के लिए लगातार चेकिंग कर कार्रवाई करते रहनी होगी। स्कूल स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं।

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    सवाल : आप संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) के अध्यक्ष हैं। इस बैठक में आपका फोकस क्या रहता है?

    जवाब : आरटीए के सदस्य तय होते ही बैठक की जाएगी। इस बैठक में सड़कों की डिजाइनिंग और इससे जुड़े अन्य विषय देखे जाएंगे। सड़कें पूरी तरह दुरुस्त होने की रिपोर्ट मिलने के बाद वाहनों के संचालन की अनुमति दी जाएगी।

    सवाल : अक्सर दुर्घटनाओं के बाद जांच की औपचारिकता निभाई जाती है। दोषी पर कार्रवाई न होने से लापरवाही बढ़ती है। ऐसा क्यों होता है?

    जवाब : रोड सेफ्टी बोर्ड बनाए जाने की जरूरत है। इस बोर्ड में संबंधित विषय के विशेषज्ञों को रखना होगा और इन्हें केवल दुर्घटनाओं की जांच का काम देना होगा। इससे दुर्घटनाओं की सही स्थिति पता चल सकेगी। इसी रिपोर्ट पर दोषियों पर कार्रवाई करने के साथ ही सुधार किया जा सके।

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    कमिश्नर के अन्य सुझाव

    • सड़क सुरक्षा समितियां एक्सीडेंट आडिट कर तत्काल कार्रवाई करें
    • खराब साइनेज को तत्काल ठीक कराएं और नए लगाएं
    • ध्यान भटकाने वाले होर्डिंग भी हटाए जाने चाहिए
    • इलेक्ट्रानिक सर्विलांस बढ़ाया जाए