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रं समाज के पहले पीपीएस अधिकारी सेलाल का निधन, धारचूला में शोक nainital news

सेवानिवृत्त डीआइजी पुष्कर सैलाल कैंसर से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गए। दिल्ली के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 06:34 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:34 PM (IST)
रं समाज के पहले पीपीएस अधिकारी सेलाल का निधन, धारचूला में शोक nainital news

धारचूला, जेएनएन : सेवानिवृत्त डीआइजी पुष्कर सैलाल कैंसर से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गए। दिल्ली के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। रं कल्याण संस्था के पूर्व अध्यक्ष सैलाल के निधन से हल्द्वानी से लेकर धारचूला तक शोक की लहर है। वह रं समाज के पहले पीपीएस अफसर थे। रविवार को रानीबाग स्थित चित्रशीला घाट में उनका अंतिम संस्कार हुआ। महकमे से लेकर सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।

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विपरीत परिस्थि‍तियों में पढ़ाई जारी रख बने अफसर

सीमांत के सेला गांव निवासी पुष्कर सिंह सैलाल का जन्म दो जुलाई 1956 को एक गरीब परिवार में हुआ। विपरित परिस्थतियों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। सात जुलाई 1982 को वह पुलिस अफसर बने। जिसके बाद उन्होंने मेरठ, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, इटावा, रामपुर, गौतमबुद्ध नगर आदि जगहों पर सेवा दी। पीएसी में कमाडेंट रहने के दौरान उनके काम को काफी सराहा गया। नौकरी के दौरान ही सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता को देखते हुए 2008 व 2010 में वह रं कल्याण संस्था के अध्यक्ष बनाए गए। प्रदेश के दोनों मंडल में वह डीआइजी की जिम्मेदारी निभा चुका है।

कैंसर का दिल्‍ली में चल रहा था इलाज

डीआइजी कुमाऊं पद पर से वह सेवानिवृत्त हुए थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कैंसर की चपेट में आने की वजह से उनका दिल्ली में इलाज चल रहा था। जहां शनिवार को उनकी मौत हो गई। रविवार सुबह चित्रशीला घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान डीआइजी जगतराम जोशी, एसएसपी सुनील कुमार मीणा, एसपी सिटी अमित श्रीवास्तव समेत पुलिस के तमाम अधिकारी व कर्मचारी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। वर्तमान में लामाचौड़ चौकी के पास में उनका आवास था।

राष्ट्रपति व पुलिस मेडल से सम्मानित

सरल व सौम्य व्यवहार के पुलिस अफसर माने जाने वाले पुष्कर सिंह सैलाल 2008 में इंडियन पुलिस मेडल व 2014 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया गया। उनके द्वारा प्रकाशित रं ठुमचारु  पुस्तक आज भी समाज का मार्ग दर्शन कर रही है।

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