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    'प्रोजेक्ट इनसाइट' से होगी इनकम टैक्स चोरी की निगरानी, नए सॉफ्टवेयर से निगरानी शुरू

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 05 Apr 2019 10:30 AM (IST)

    कर चोरी की निगरानी के लिए आयकर विभाग ने नए सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट इनसाइट के जरिये करदाताओं की निगरानी शुरू कर दी है। एक अप्रैल से देशभर में सॉफ्टवेयर ने काम करना शुरू कर दिया है।

    'प्रोजेक्ट इनसाइट' से होगी इनकम टैक्स चोरी की निगरानी, नए सॉफ्टवेयर से निगरानी शुरू

    हल्द्वानी, जेएनएन : कर चोरी की निगरानी के लिए आयकर विभाग ने नए सॉफ्टवेयर 'प्रोजेक्ट इनसाइट' के जरिये करदाताओं की निगरानी शुरू कर दी है। एक अप्रैल से देशभर में सॉफ्टवेयर ने काम करना शुरू कर दिया है। सॉफ्टवेयर के डाटा माइनिंग के आधार पर असेसमेंट ऑफिसर संबंधित करदाता के रिटर्न की जांच कर सकेंगे व क्रॉस चेक के बाद संबंधित करदाता के रिटर्न को स्कू्रटनी में लेने या न लेने का फैसला करेंगे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में केंद्रीय स्तर पर लक्ष्य से कम आयकर जमा हुआ है। सूत्रों की मानें तो इस वजह से भी विभाग करदाताओं पर डाटा माइनिंग के आधार पर नजर रखने व केस को स्क्रूटनी में लेने की सख्ती बरतने के मूड में है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि नए सॉफ्टवेयर से विभाग के पास अधिक सूचनाएं प्राप्त होंगी, जिसकी विभाग जांच कर सकेगा। इसलिए करदाता की जो आय है, उसे रिटर्न में दिखाकर टैक्स दाखिल करें।

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    पैन के जरिये भी ली जाती है जानकारी

    कर विशेषज्ञ हिमांशु कोठारी का कहना है कि इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव के बाद हर बड़ी खरीद में पैन लगता है। ऐसे में इस तरह की खरीद की जानकारी आयकर विभाग को मिल जाती है। विभाग किसी की रिटर्न को स्क्रूटनी में लेने से पहले देखता है कि खरीदार का रिटर्न इस लायक था कि नहीं। संपत्ति व आय से अधिक खर्च दिखने पर मामला संदिग्ध हो जाता है।

    सोशल मीडिया एकाउंट की भी निगरानी

    प्रोजेक्ट इनसाइट के तहत ऐसे लोगों की सोशल मीडिया एकाउंट पर भी नजर रखी जाएगी, जो महंगी चीजें खरीदते हैं, लेकिन उनकी जानकारी विभाग को देने से बचते रहे हैं।

    आईटी विभाग को इस तरह मिल जाती है जानकारी

    • 30 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति की खरीदी-बिक्री होने पर पंजीयन विभाग से सूचना जाती है।
    • बैंक से एक साल में 10 लाख से अधिक कैश ट्रांजेक्शन करने पर बैंकिंग सॉफ्टवेयर से इसकी सूचना आयकर विभाग को जाती है।
    • किसी खाते में अधिक राशि नहीं आती व अचानक बड़ी राशि का ट्रांजेक्शन होने पर इसकी भी जानकारी जाती है।
    • म्यूचुअल फंड में दो लाख से अधिक का निवेश करने पर इसकी भी जानकारी विभाग को दी जाती है।
    • 10 लाख से अधिक मूल्य की कार खरीदने पर भी आइटी विभाग को जानकारी दी जाती है।

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