शख्सियत: दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन बने उत्तराखंड के प्रो. डीएस रावत, लाइलाज बीमारी की खोज चुके दवा
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के काफलीगैर के रहने वाले डा. दीवान सिंह रावत दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन बनाए गए हैं।
नैनीताल, जेएनएन: दिल्ली यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दीवान सिंह रावत दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन बनाए गए हैं। मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के काफलीगैर तहसील के रेखोली गांव के रहने वाले हैं। पिछले साल ही उन्होंने लंबी रिसर्च के बाद लाइलाज बीमारी पार्किंसन की दवा खोजी थी। वे इस दवा को खोजने वाले प्रथम भारतीय वैज्ञानिक हैं। प्रोफेसर रावत जुलाई 2003 में एक रीडर के रूप में विभाग में शामिल हुए और मार्च 2010 में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत हो गए। उन्होंने 1993 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की और विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान हासिल करने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र से सम्मानित हुए। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान से पीएचडी प्राप्त की। लखनऊ से औषधीय रसायन विज्ञान में उन्होंने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में दो साल काम किया और इंडियाना यूनिवर्सिटी और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए में पोस्टडॉक्टोरल काम किया। वह 2003 में दिल्ली विश्वविद्यालय में शामिल होने से पहले, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली में औषधीय रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर रहे।
पुरस्कारों की लंबी फेहरिस्त
प्रो. रावत भारतीय विज्ञान कांग्रेस (2019-2020) के अनुभागीय अध्यक्ष रहे। 2007 में सीआरएसआई युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें आईएससीबी युवा वैज्ञानिक पुरस्कार (2010) प्रो. डीपी चक्रवर्ती की 60 वीं जयंती समारोह अवार्ड (2007), वीसी के प्रतीक चिन्ह सम्मान, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल (2011) में गोल्ड बैज एंड डिप्लोमा, इंटरनेशनल साइंटिफिक पार्टनरशिप फाउंडेशन, रूस (2015) प्रोफेसर आरसी शाह मेमोरियल व्याख्यान पुरस्कार, भारतीय विज्ञान कांग्रेस (2015); प्रोफेसर एसपी हिरेमथ मेमोरियल अवार्ड, इंडियन काउंसिल ऑफ केमिस्ट (2016); और वह एक विजिटिंग प्रोफेसर, जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST), जापान हासिल हो चूके हैं।
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