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'आप' के संस्‍थापकों में शामिल रहे समाजशास्त्री प्रो. आनंद ने केजरीवाल पर बोला बड़ा हमला

आदमी पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहे प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार ने आप में वीआइपी कल्चर के बाद सुप्रीमो कल्चर हावी होने के बहाने केजरीवाल पर सियासी हमला बोला है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 10:15 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 10:15 AM (IST)
'आप' के संस्‍थापकों में शामिल रहे समाजशास्त्री प्रो. आनंद ने केजरीवाल पर बोला बड़ा हमला

किशोर जोशी, नैनीताल : आदमी पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहे प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार ने आप में वीआइपी कल्चर के बाद सुप्रीमो कल्चर हावी होने के बहाने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर सियासी हमला बोला है। कहा कि केजरीवाल की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। पार्टी को निजी संपत्ति के रूप में उपयोग कर रहे हैं। स्वराज इंडिया की ओर से आम चुनाव के लिए 19 बिंदु तैयार किए गए हैं। जो दल कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, लोकपाल आदि सवालों को घोषणा पत्र में शामिल करेगा, उसे समर्थन पर विचार किया जा सकता है।

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कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में व्याख्यान देने पहुंचे प्रो. कुमार ने अपने संबोधन में भी दिल्ली में आप सरकार की नीतियों पर तंज कसा। बोले, गली में कंक्रीट मार्ग बनने पर दिल्ली सरकार धन्यवाद के विज्ञापन में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। चुनाव प्रणाली को प्रदूषित किया जा रहा है। जागरण से बातचीत करते हुए दोहराया कि आप में ना खाता बही, जो केजरीवाल कहे, वही सही, की संस्कृति पैदा हो गई है।

सरकार ने नहीं किया सुधार

प्रो. कुमार ने कहा कि एनडीए की सरकार ने पिछले पांच साल में सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र में सुधार का काम नहीं किया। समाज में बिखराव बढ़ा है। कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में टिकाऊ नीति नहीं बनाई गई। बताया कि स्वराज इंडिया द्वारा विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है, कमेटी की ओर से सुझाए गए 19 बिंदुओं को जो दल घोषणा पत्र में शामिल करेगा, उसे समर्थन पर विचार किया जा सकता है। हालांकि इन दलों में भाजपा नहीं हो सकती।

दुनियां के हर लोकतंत्र में हताशा व निराशा

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुनाथ राजन की चेतावनी पर टिप्पणी करते हुए प्रो. कुमार ने कहा कि राज्य, बाजार और समुदाय आदि पीलर कमजोर हो रहे हैं। सरकार के पक्ष में आदर का भाव घट रहा है। दुनियां के हर लोकतंत्र में हताशा व असंतोष के साथ ही रंगभेद, जातिभेद की समस्या पैदा हो गई है। एक दूसरे का सहारा

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