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    देर से शादी और तनाव के कारण बढ़ रही है बांझपन की समस्‍या, इन बातों का रखें ख्‍याल nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 03 Dec 2019 12:48 PM (IST)

    घर की शान बच्चों से ही है। दंप‍ती को यदि बच्‍चा कंसीव करने में समस्‍या आ रही हो तो मन तमाम तरह की आशंकाओं से घिरने लगता है।

    देर से शादी और तनाव के कारण बढ़ रही है बांझपन की समस्‍या, इन बातों का रखें ख्‍याल nainital news

    हल्द्वानी, जेएनएन : घर की शान बच्चों से ही है। दंप‍ती को यदि बच्‍चा कंसीव करने में समस्‍या आ रही हो तो मन तमाम तरह की आशंकाओं से घिरने लगता है। और वक्‍त गुजरने के साथ ये डर और बढ़ता जाता है कि आखिर समस्‍या क्‍यों आ रही है। वर्तमान में जिस तरह की आपाधापी भरी जिंदगी हो गई है और खानपान दूषित हो गया है, ऐसे में इंफर्टेलिटी यानी बांझपन की समस्या भी कॉमन होने लगी है। इंफर्टेलिटी कंसलटेंट डॉ. उपेंद्र ओली कहते हैं कि बांझपन का 70 फीसद इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए अभी जागरूकता की जरूरत है। रविवार को वे दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में मौजूद थे, जहां उन्होंने कुमाऊं भर से फोन करने वाले सुधी पाठकों को परामर्श दिया। उनहोंने कहा कि देर से शादी करना व तनाव इंफर्टेलिटी को बढ़ा रहा है।

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    महिलाओं में बांझपन के कारण

    • पेल्विक में संक्रमण
    • हार्मोनल असंतुलन
    • गर्भाशय की असामान्य संरचना
    • अक्सर तनाव में रहना
    • पर्सनल हाइजीन न रखना

    पुरुषों में बांझपन के लक्षण

    • स्पर्म की गुणवत्ता में कमी
    • लंबे समय तक बीमार होना
    • हार्मोंस का असंतुलन
    • आनुवांशिक विकार
    • काम में अधिक व्यस्तता

    बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका

    • वजन नियंत्रित रखें
    • धूमपान व एल्कोहल से दूर रहें
    • सही उम्र में शादी करें
    • फोलिक एसिड व विटामिन बी का इस्तेमाल
    • नियमित व्यायाम व योग करें
    • जंक फूड के इस्तेमाल से बचें
    • विटामिन डी लें
    • तनाव को हावी न होने दें

    जांच से पता चलती है सही स्थिति

    बांझपन का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराए जाते हैं। इसके अलावा इंडोमेट्रियल बायोप्सी सहित कई तरह की जांचें होती हैं। जनन अंगों के अल्ट्रासाउंड और एक्सरे के अलावा लेप्रोस्कोपी से भी जांच होती है।

    कम हो रही शुक्राणुओं की संख्या

    डॉ. ओली ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों के शुक्राणु की संख्या घट रही है। सामान्य तौर पर इसकी संख्या 60-150 मिलियन होनी चाहिए, जबकि न्यूनतम संख्या 15 मिलियन होती है। पर्यावरण, दूषित खानपान के चलते इसकी संख्या लगातार घटती जा रही है।

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