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पंचेश्वर बांध के लिए बनी समिति का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा, जानिए योजना के बारे में सबकुछ

महाकाली नदी पर प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के लिए गठित भारत और नेपाल की विशेषज्ञ समूह समिति का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा दिया गया है। अब समिति मार्च 2020 तक बनी रहेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 10:32 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 12:48 PM (IST)
पंचेश्वर बांध के लिए बनी समिति का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा, जानिए योजना के बारे में सबकुछ
पंचेश्वर बांध के लिए बनी समिति का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा, जानिए योजना के बारे में सबकुछ

झूलाघाट (पिथौरागढ़) जेएनएन : महाकाली नदी पर प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के लिए गठित भारत और नेपाल की विशेषज्ञ समूह समिति का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा दिया गया है। अब समिति मार्च 2020 तक बनी रहेगी। पंचेश्वर परियोजना के लिए बनी डीपीआर के कुछ बिंदुओं पर सहमति बनाने के लिए आगामी 15 जनवरी को समिति की नई दिल्ली में बैठक होगी।

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6000 मेगावॉट से अधिक जल विद्युत परियाेजना का निर्माण

नेपाल और भारत के बीच एकीकृत महाकाली संधि में 6000 मेगावॉट से अधिक जल विद्युत पैदा करने के लिए पंचेश्वर बहुद्देश्यीय परियोजना निर्माण की परिकल्पना की गई है। जिसके लिए भारत और नेपाल में डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों, कस्बों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का चिह्नीकरण हो चुका है। इसके बाद भारत में जन सुनवाई भी हो चुकी है। जन सुनवाई में परियोजना के पक्ष और विपक्ष में प्रभावितों ने अपनी राय रखी थी। परियोजना के लिए भारत सरकार के निर्देश पर वासकोप कंपनी ने इसकी डीपीआर भी तैयार कर दी थी। इस परियोजना से पैदा होने वाली बिजली और परियोजना से निकलने वाले जल को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था। विगत लगभग दो वर्षों से मामला शांत था।

दोनों देशों की साझा बैठक अब तक सिफ तीन बार

इस बीच नेपाल से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में बीते दिनों हुई बैठक में तकनीकी समय सीमा के लिए लंबे समय से लंबित डीपीआर के लिए समय सीमा बढ़ाने और 15 जनवरी को बैठक आयोजित करने पर सहमति बनी है। बताया गया है कि दोनों देशों के विशेषज्ञ समूह की अब तक केवल तीन बैठक हुई हैं, जिसके चलते स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। समिति का कार्यकाल मार्च 2019 में समाप्त हो गया था। आगे की कार्यवाही के लिए विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया है। जिन मुद्दों को लेकर एक राय नहीं बनी थी उन मुद्दों पर चर्चा के लिए 15 जनवरी को फिर से बैठक बुलाई गई है। नेपाल के जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय के सचिव दिनेश घिमिरे ने कहा है कि विशेषज्ञ समूह की बैठक में अब बाकी बचे मुद्दों के निस्तारण की संभावना है। बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व जल संसाधन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने किया था।

साढ़े 23 करोड़ का बजट पास

नेपाल की मीडिया के अनुसार बीते दिनों दिल्ली में हुई बैठक में सर्वे के लिए साढ़े तेईस करोड़ का बजट पारित किया गया है। यह बजट भारत और नेपाल संयुक्त रूप से पोषित करेंगे। प्राधिकरण के ऑडिट में तेजी लाए जाने पर सहमति बनी है। आगामी 15 जनवरी को होने वाली भारत व नेपाल के अधिकारियों की बैठक में पंचेश्वर परियोजना की तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।

2014 में मोदी ने परियोजना के लिए शुरू की थी पहल

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना के लिए पहल शुरू की थी। इसके बाद काफी तेजी के साथ कार्य हुआ। पंचेश्वर बांध 309 मीटर ऊंचा बनेगा। इससे 4800 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। भारत के 31 हजार लोग प्रभावित होंगे। भारत के तीन जिलों के 112 गांव डूब क्षेत्र में आएंगे। जिसमें पिथौरागढ़ के 87, चम्पावत के 23 और अल्मोड़ा के 12 गांव शामिल हैं। रूपाली गधेरे से लेकर जौलजीवी से आगे तक का क्षेत्र डूब क्षेत्र होगा। पंचेश्वर से निचले क्षेत्र में सर्पोटिंग बांध तामली के निकट रूपाली गधेरे में बनेगा। रूपाली गधेरा पंचेश्वर से 20 किमी की दूरी पर है। पंचेश्वर बांध की भारत में वासकोप कंपनी ने डीपीआर बनाई है। भारत में प्रथम चरण पर जन सुनवाई हुई है। लोस चुनाव 2019 से पूर्व तक पंचेश्वर बांध का मामला सुर्खियों में था, लेकिन चुनाव के बाद शांत लग रहा है। पंचेश्वर बांध के संबंध में कार्यवाही का पता नेपाल से चल रहा है। भारत सरकार और शासन इस मामले में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही है। जिसे लेकर प्रभावित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त है।

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