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सीआरआरआइडी के प्रो. वर्मा बोले, कर्ज नहीं व्‍यक्तिगत कारणों से किसानों ने की आत्महत्या

भारतीय रिजर्व बैंक के चंडीगढ़ स्थित संस्थान सीआरआरआइडी के प्रो. सतीश वर्मा ने शोध निष्कर्षों के हवाले साफ किया कि किसानों की आत्महत्या की वजह कर्ज में डूबना नहीं था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 10 Mar 2019 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 08:08 PM (IST)
सीआरआरआइडी के प्रो. वर्मा बोले, कर्ज नहीं व्‍यक्तिगत कारणों से किसानों ने की आत्महत्या
सीआरआरआइडी के प्रो. वर्मा बोले, कर्ज नहीं व्‍यक्तिगत कारणों से किसानों ने की आत्महत्या

नैनीताल, जेएनएन : भारतीय रिजर्व बैंक के चंडीगढ़ स्थित संस्थान सीआरआरआइडी के प्रो. सतीश वर्मा ने शोध निष्कर्षों के हवाले साफ किया कि पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्टï्र में किसानों की आत्महत्या की वजह कर्ज में डूबना नहीं था। आत्महत्या की वजह नशा, पारिवारिक समस्या, सामाजिक दबाव मुख्य थी। साथ ही आत्महत्या करने वालों में किसानों के बजाय कृषि मजदूर होने का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को किसानों के हित की योजनाओं में छोटे किसान को लाभ दिलाना सुनिश्चित करना होगा।

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रविवार को कुमाऊं विवि के हरमिटेज भवन में आयोजित कार्यशाला में अर्थशास्त्री प्रो. वर्मा ने भारत में कृषि संकट व किसान आत्महत्या के मुद्दों पर प्रकाश डाला। आइसीएसएसआर के सदस्य सचिव वीके मल्होत्रा ने शोधार्थियों को भारत के विकास में नीतिगत बदलावों की ओर प्रेरित किया। उन्होंने मानव विकास के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित करते हुए विकास के मुद्दों का राजनीतिकरण व राजनीतिक ध्रुवीकरण बंद करने की हिदायत दी। कहा कि इससे समाज के शोषित व वंचित तबके का अहित होता है। अंतरराष्टï्रीय भूगोल परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. आरबी सिंह ने जलवायु परिवर्तन एवं विकास पर व्याख्यान देते हुए कहा कि गंगा व ब्रह्मïपुत्र नदी पर ही हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता का अस्तित्व टिका है। उन्होंने सिकुड़ते वन क्षेत्र, ग्लेशियर के पिघलने, पलायन, जलस्रोतों के सूखने, वनों का कटाव आदि के जलवायु परिवर्तन पर प्रभावों का जिक्र किया।

ढाई दशक में सूख जाएंगे जलस्रोत

कुमाऊं विवि के प्रो. जेएस रावत ने आगाह किया कि यदि कोसी व गगास नदी को पुनर्जीवित करने जैसे कदम नहीं उठाए गए तो अगले ढाई दशक में राज्य के जलस्रोत पूरी तरह सूख जाएंगे। भूगर्भ विज्ञानी प्रो. बीएस कोटलिया ने चार हजार वर्ष पुरानी गुफाओं के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि पानी के संकट की वजह से ही करीब 3200 साल पहले सिंधू व हड़प्पा सभ्यता का अंत हुआ। कुलपति प्रो. डीके नौडिय़ाल ने छात्रों से कार्यशाला में अर्जित ज्ञान समाज तक पहुंचाने का आह्वïान किया। संचालन करते हुए डॉ. दिव्या यू जोशी ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर प्रो. अमिताभ कुंडू, प्रो. सूर्यनारायण, प्रो. सुनीता रेड्डी, प्रो. पदम सिंह बिष्टï आदि मौजूद थे।

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