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वाहनों व सैलिानियों की संख्‍या बढ़ने से पहाड़ की साफ वादियों में घुल रहा प्रदूषण का जहर

पहाड़ की स्वच्छ वादियों में भी प्रदूषण का जहर घुल रहा है। तराई व भाबर के साथ इससे सटे पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ती वाहनों की संख्या व सैलानियों की आमद से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 11:00 AM (IST)
वाहनों व सैलिानियों की संख्‍या बढ़ने से पहाड़ की साफ वादियों में घुल रहा प्रदूषण का जहर
वाहनों व सैलिानियों की संख्‍या बढ़ने से पहाड़ की साफ वादियों में घुल रहा प्रदूषण का जहर

हल्द्वानी, जेएनएन : पहाड़ की स्वच्छ वादियों में भी प्रदूषण का जहर तेजी से घुल रहा है। तराई व भाबर के साथ इससे सटे पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ती वाहनों की संख्या और सैलानियों की आमद वायु प्रदूषण का कारण बन रही है।नैनीताल व ऊधमसिंह नगर के शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य बनने के बाद काफी विकास हुआ है। गांव-गांव कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो गए। इसके साथ ही वाहनों की संख्या भी बढ़ती चली गई। आंकड़े बताते हैं कि परिवहन विभाग के हल्द्वानी संभागीय कार्यालय में कुल 3,42,524 वाहन व रामनगर उप संभागीय कार्यालय में 12754 वाहन पंजीकृत हो चुके हैं।

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सिडकुल की फैक्ट्रियां भी वायु प्रदूषण का कारण

ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर उप संभागीय कार्यालय में 4,89,024 वाहन व काशीपुर उप संभागीय कार्यालय में 1,01,989 वाहन पंजीकृत हैं। रोजाना वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। वहीं राज्य बनने के बाद कुमाऊं की शांत व शीतल वादियों में सैरसपाटे के लिए देश-विदेश से आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इन सैलानियों को ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले से होकर कुमाऊं के अन्य जिलों के लिए गुजरना पड़ता है। इनके वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी फिजाओं में घुल रहा है। ऊधमसिंह नगर जिले में सिडकुल में खुली फैक्ट्रियां भी वायु प्रदूषण का कारण बनी हैं।

रुद्रपुर, काशीपुर से हल्द्वानी की हवा शुद्ध

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के रिकार्ड भविष्य के लिए आगाह कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में हल्द्वानी में औसतन 10 माइक्रोन से कम कण 110.91 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब, 10 माइक्रोन से अधिक 177.61 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब,  सल्फर डाइ ऑक्साइड 7.57 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब व नाइट्रोजन ऑक्साइड 28.10 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब रिकार्ड किया गया है। वहीं, काशीपुर में औसतन 10 माइक्रोन से कम कण 126.19 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब, 10 माइक्रोन से अधिक 220.13 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब, सल्फर डाइ ऑक्साइड 13.58 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब व नाइट्रोजन ऑक्साइड 22.60 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। रुद्रपुर में औसतन 10 माइक्रोन से कम कण 129.11 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब, 10 माइक्रोन से अधिक 227.69 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब, सल्फर डाइ ऑक्साइड 13.61 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब व नोइट्रोजन ऑक्साइड 22.66 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। रुद्रपुर व काशीपुर की अपेक्षा हल्द्वानी की हवा फिर भी ठीक है।

फेफड़ों में असर डाल रहे धूल कण

डॉ. गौरव सिंघल, वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ ने बताया कि हवा के साथ प्रदूषण के कण शरीर में प्रवेश कर सबसे पहले फेफड़ों पर प्रभाव डालते हैं। इसके बाद खून के साथ मिलकर दिल व दिमाग की बीमारियों को पैदा करते हैं। फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले लोगों को प्रदूषण की वजह से बीमारी का खतरा अधिक रहता है।

शहरों के प्रदूषण पर रखी जा रही नजर

आरके चतुर्वेदी, क्षेत्रीय अधिकारी पीसीबी हल्द्वानी कहा कहना है कि हल्द्वानी, रुद्रपुर व काशीपुर शहर में हर माह वायु में प्रदूषण की जांच की जा रही है। रुद्रपुर व काशीपुर में प्रदूषण अधिक होने की वजह वहां पर फैक्ट्रियों का होना है। समय-समय पर फैक्ट्रियों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से होने वाले वायु प्रदूषण की जांच की जाती है।

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