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    यूओयू में हुई नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने कहा, यह जनहित याचिका नहीं

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Mon, 14 Nov 2022 07:09 PM (IST)

    Nainital High Court हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी हल्द्वानी में 13 लोगों की नियुक्तियां अवैध तरीके से की गई हैं। इन नियुक्तियों को करने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों का पालन नहीं किया गया है।

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    कोर्ट ने ये भी कहा कि जो अभ्यर्थी इससे प्रभावित हैं, वह चुनौती दे सकते हैं।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : Nainital High Court: हाई कोर्ट ने उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी (UOU) हल्द्वानी में हुई अवैध नियुक्तियों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सर्विस से जुड़ा है, इसमें जनहित याचिका नहीं हो सकती। हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि जो अभ्यर्थी इससे प्रभावित हैं, वह चुनौती दे सकते हैं।

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    13 लोगों की नियुक्तियों को बताया गया था अवैध

    हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी हल्द्वानी में 13 लोगों की नियुक्तियां अवैध तरीके से की गई हैं। इन नियुक्तियों को करने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए इन नियुक्तियों को निरस्त किया जाय।

    याचिका में विपक्षी ने दी ये दलील

    वहीं, याचिका का विरोध करते हुए विपक्षियों की तरफ से कहा गया कि विश्वविद्यालय में कोई भी अवैध नियुक्तियां नहीं हुई है, जो नियुक्तियां हुई हैं, वे नियमों के तहत हई है। सर्विस से जुड़े मामलों में जनहित याचिका दायर नहीं हो सकती, इसलिए इसे निरस्त किया जाय।

    याचिका खारिज हुई

    दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने भी विपक्षी पार्टी की दलील को सही पाया। कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि याचिका जनहित याचिका के रूप में दाखिल की गई है। जबकि मामला सर्विस से जुड़ा हुआ है। इसलिए ये जनहित याचिका नहीं हाे सकती। ऐसा कहते हुए खंडपीठ ने याचिका निरस्त कर दी।

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