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जापानी तकनीक का मॉडल बनेगी पाडली की पहाड़ी

देश में पहली बार जापानी तकनीक से जर्जर पहाडिय़ों का उपचार किया जाएगा। पहले चरण में गढ़वाल के रुद्रप्रयाग नरेंद्रनगर व कुमाऊं के नैनीताल जनपद में पाडली की पहाड़ी को चुना गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 03:50 PM (IST)
जापानी तकनीक का मॉडल बनेगी पाडली की पहाड़ी
जापानी तकनीक का मॉडल बनेगी पाडली की पहाड़ी

गरमपानी (नैनीताल) जेएनएन : देश में पहली बार जापानी तकनीक से जर्जर पहाडिय़ों का उपचार किया जाएगा। पहले चरण में गढ़वाल के रुद्रप्रयाग, नरेंद्रनगर व कुमाऊं के नैनीताल जनपद में पाडली की पहाड़ी को चुना गया है। बकायदा इसके लिए वन विभाग कर्मचारियों व इंजीनियरों के बीस सदस्यों के दल ने जापान जाकर सोलह दिनों का प्रशिक्षण भी ले लिया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार पहले चरण की सफलता के बाद देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे ही जापानी तकनीक से जर्जर हो रही पहाडिय़ों की मरम्मत की जाएगी।

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जायका परियोजना के तहत जापान से आर्थिक मदद के साथ-साथ तकनीक के बेजोड़ मेल से अब पाडली की पहाड़ी से भूस्खलन रोका जाएगा। देश में पहली बार नरेंद्रनगर, रुद्रप्रयाग के साथ ही पाडली में जापानी तकनीक से काम होगा। इसके लिए बकायदा सत्रह करोड़ रुपये खर्च होंगे। बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किए जाने के बाद स्थानीय पौधों की प्रजाति का भी जापानी तकनीक से ही रोपण किया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो दिसंबर से पाडली के पहाड़ी का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए आवश्यक सर्वे भी पूरे कर लिए गए है।

193 देशों को मिलती आर्थिक मदद

जायका परियोजना जापान की एक फंडिंग एजेंसी है। विभिन्न कार्यों के लिए करीब एक 193 देशों को अलग-अलग मदों में आर्थिक सहायता देती है। पहली बार जापान से जायका परियोजना के तहत आर्थिक मदद के साथ ही तकनीक भी मिल रही है।

विभागीय अधिकारियों ने भी कसी कमर

कार्य तेजी से हो इसके लिए विभागीय अधिकारियों ने भी कमर कस ली है। टास्क टीम का गठन भी कर लिया गया है, जिसमें वन विभाग के अधिकारियों के साथ देश के इंजीनियर व जापान के एक्सपर्ट शामिल है। विभागीय अधिकारियों ने दावा किया है कि साल भर के अंदर कार्य पूरा भी कर लिया जाएगा।

सर्वे हुआ पूरा

देश के विशेषज्ञों के साथ जापान की टीम ने तीन से चार दौर की सर्वे भी पूरी कर ली है। जिसके तहत जमीन के अंदर पानी की उपलब्धता, मजबूत चट्टान के साथ ही मिट्टी आदि के नमूने लेकर सर्वे पूरे कर लिए गए है। उमेश जोशी, डीएफओ रानीखेत का कहना है कि देश में पहली बार जापानी तकनीक से कार्य होगा। पहले चरण की सफलता के बाद अन्य क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा। पहली बार जापान से आर्थिक मदद के साथ-साथ तकनीक भी मिल रही है। बीजू लाल टीआर, डीएफओ नैनीताल ने बताया कि सर्वे पूरा हो चुका है। बरसात के बाद काम शुरू हो जाएगा। कार्यदायी संस्था जायका है। पर क्षेत्र नैनीताल डिवीजन के अधीन है। हर संभव मदद की जाएगी।

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