भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के घर की ओर बढ़ रहे सत्याग्रही बच्चों को रोकने के लिए लगाई पीएसी
41 दिनों से वेतन समेत अनेक मांगों को लेकर धरने पर बैठे श्रमिकों की मांगों पर कंपनी से लेकर शासन-प्रशासन ने जब ध्यान नहीं दिया तो अब बच्चों ने मोर्चा संभाल लिया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : 41 दिनों से वेतन समेत अनेक मांगों को लेकर धरने पर बैठे श्रमिकों की मांगों पर कंपनी से लेकर शासन-प्रशासन ने जब ध्यान नहीं दिया तो अब बच्चों ने मोर्चा संभाल लिया है। रविवार को बच्चे सत्याग्रह का रास्ता अपनाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मिलने उनके घर के लिए चल दिए। इस बात की सूचना जब महकमे में फैली तो पूरा तंत्र जाग उठा। पुलिस-प्रशासन ने बच्चों को चोरगलिया थाने के बाहर ही रोक लिया गया। बच्चों को रोकने के लिए पीएसी तक बुला ली गई। एसडीएम विवेक राय, सीओ शांतनु और विधायक प्रतिनिधि विकास भगत भी मौके पर पहुँच गए। करीब दो घंटे तक बच्चे एक तरह से नजरबंद रहे। लंबी वार्ता के बाद आश्वासन मिलने पर ही सभी वापस सितारगंज लौट गए। जिसके बाद पुलिस-प्रशासन ने राहत की सांस ली।
41 दिनों से हड़ताल पर हैं श्रमिक
सैलरी बढ़ाने व अन्य मांगों को लेकर सितारगंज स्थित गुजरात अम्बुजा कंपनी के 208 कर्मचारी पिछले 41 दिन से हड़ताल पर है। 28 फरवरी से श्रमिकों के बच्चे भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा के घर भी इन्होंने कई बार धरना दिया लेकिन निराशा ही मिली। रविवार सुबह 51 बाल सत्याग्रही और कुछ परिजन बस में सवार होकर प्रदेश अध्यक्ष भगत के घर की और आने लगे। फिर सूचना पर चोरगलिया थाने के बाहर करीब एक घण्टे इन्हें रोकने के बाद गौलापार स्थित बैंक्वेट हॉल लाया गया। जहां एसडीएम और अन्य लोग समझाने में जुट गए। जिसके बाद सभी लौट गए।
मासूमों के लिए पीएसी बुलवाई
भाजपा अध्यक्ष के घर धरने की सूचना से पुलिस के भी हाथ-पांव फूल गए थे। महिला पुलिसकर्मियों के अलावा पीएसी की बस भी बुलवाई गई। तीन थानाध्यक्ष भी जुटे थे। सियासे गलियारे में यह घटना चर्चा का विषय बन गई है। आखिर बच्चों को सड़क पर उतरने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा? वहीं बच्चों के विरोध-प्रदर्शन के लिए पीएससी क्यों बुलानी पड़ गई। ऐसे में प्रशासन की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है।
तख्तियों पर लिखे नारे लहरा रहे थे बच्चे
जुल्म अत्याचार के खिलाफ बाल सत्याग्रह, हम बच्चों को धमकाना बंद करो, झूठे मुकदमें वापस लो, बाल सिपाही जिंदाबाद, एक दो तीन चार बंद करो अत्याचार जैसे नारे तख्तियों पर लिखे हुए बच्चे लहराकर प्रदर्शन कर रहे थे। वे इस बार-बार इस बात को दोहरा रहे थे कि कंपनी हमारे पैरेंट्स के साथ अत्याचार कर रही है।
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