Vanantara Case: अब सुप्रीम कोर्ट में वनंतरा प्रकरण पर फरवरी में होगी सुनवाई, मामले की CBI से जांच करवाने की मांग
वनंतरा मामले में उत्तराखंड के उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि इस मामले में इसमें कुछ राजनीतिक वीआईपी की संलिप्तता का आरोप झूठा और राजनीति से प्रेरित है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की संयुक्त पीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी आशुतोष नेगी आशुतोष नेगी की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें इस मामले की जांच सीबीआइ से...

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Vanantara Case Updates: सुप्रीम कोर्ट ने पौड़ी गढ़वाल की बेटी की ऋषिकेश के समीप वनंतरा रिसॉर्ट में दुष्कर्म के बाद हत्या मामले की सीबीआइ जांच को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुरोध पर अगली सुनवाई फरवरी माह तक के लिए स्थगित कर दी।
इस मामले में उत्तराखंड के उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि इस मामले में इसमें कुछ राजनीतिक वीआईपी की संलिप्तता का आरोप झूठा और राजनीति से प्रेरित है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की संयुक्त पीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी आशुतोष नेगी आशुतोष नेगी की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई हुई। जिसमें इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की गई थी।
प्रेमी ने रिसॉर्ट में कथित वीआईपी से की थी मुलाकात
नैनीताल हाई कोर्ट की ओर से सीबीआइ जांच को लेकर दायर याचिका के खारिज होने के बाद नेगी ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश उप महाधिवक्ता खंडपीठ को बताया कि राजनीतिक वीआईपी के संबंध में याचिकाकर्ताओं की एसएलपी से पता चला है कि प्रेमी ने रिसॉर्ट में कथित वीआईपी से मुलाकात की थी लेकिन वह व्यक्ति वीआईपी नहीं था।
कोर्ट में गवाह के तौर पर उनका बयान दर्ज कराया गया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक वीआईपी के शामिल होने के सभी आरोप झूठे और राजनीति से प्रेरित थे।
सरकार की ओर से यह भी बताया कि पूरे प्रकरण की गहन जांच वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय एसआईटी की ओर से आरोप पत्र दाखिल किया गया था, आरोपित पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा चुका है।
मार्च माह में कोर्ट ने तय किए थे आरोप
कोर्ट ने इस साल 18 मार्च को आरोप तय किए थे। मृतक के माता-पिता, भाई, चाचा और प्रेमी सहित अभियोजन पक्ष के 27 गवाहों से पूछताछ की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि मुकदमा चल रहा है और अभियोजन पक्ष के साक्ष्य शीघ्र ही पूरे होने हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने एसआईटी की ओर से की गई जांच पर आशंका जताई और आरोप लगाया कि कोई सीसीटीवी फुटेज एकत्र नहीं किया गया था, कोई फोरेंसिक सबूत एकत्र नहीं किया गया था और रिसॉर्ट को ध्वस्त कर दिया गया था।
वीडियो फुटेज किया गया पेश
कोई मोबाइल फोन जब्त नहीं किया गया था और एक राजनीतिक वीआईपी की सुरक्षा की जा रही है, इसके लिए सरकार की ओर से उस स्थान का सीसीटीवी फुटेज पेश किया, जहां मृतका को आखिरी बार देखा गया था और रिसॉर्ट के अनधिकृत हिस्से को ध्वस्त करने से पहले फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह का वीडियो फुटेज पेश किया गया था।
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उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों से जब्त किए गए मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया और कॉल डेटा रिकॉर्ड भी सबूत के तौर पर पेश किए गए।
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