Uttarakhand Lockdown Day 6 : नैनीताल जिले में कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी उपकरण तक नहीं
महामारी से लडने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां आधी-अधूरी हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास दूर से बुखार मापने वाला यंत्र थर्मल स्कैनर तक नहीं है।
हल्द्वानी, जेएनएन : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा लॉकडाउन किया गया है। सतर्कता बरतने के लिए पीएम से लेकर सीएम तक हर दिन लोगों को संबोधित कर रहे हैं। लेकिन इस महामारी से लडने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां आधी-अधूरी हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास दूर से बुखार मापने वाला यंत्र थर्मल स्कैनर तक नहीं है। वह भी तब जब कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास नैनीताल जिले में लाखों का बजट डंप पडा है।
हर विभाग में पांच-पांच टीमें
नैनीताल जिले में आठ ब्लॉक हैं। प्रत्येक ब्लॉक में स्वास्थ्य विभाग ने पांच-पांच टीमें बनाई गई हैं। जिसमें डॉक्टर व अन्य स्टाफ है। इनकी जिम्मेदारी होम क्वॉरेंटाइन से लेकर देश-विदेश से लौटने वाले लोगों की स्क्रीनिंग करनी हैं, लेकिन अधिकांश के पास थर्मल स्कैनर नहीं है। पेशेंट प्रोटेक्शन किट तक उपलब्ध नहीं है, जबकि यह उपकरण जांच करने वाली टीम के लिए बेहद जरूरी हैं। यहां तक कि संदिग्ध लक्षणों की जांच करने वाली टीम के पास एन-95 मास्क व ग्लब्ज तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
दबी जुबान में कर रहे शिकायत
टीम के सदस्य दबी जुबान इधर-उधर शिकायत तो कर रहे हैं, लेकिन खुलकर अपनी शिकायत भी बताने में असमर्थ हैं। जबकि, इन समय आपदा मद से लेकर तमाम अन्य मद हैं। इन उपकरणों के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग को 25 लाख रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा लाखों रुपये होटल व अन्य व्यवस्थाओं के लिए हैं।
जांच के लिए पहुंच रही टीम को आंखें दिखा रहे लोग
स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच को पहुंच रही है, लेकिन लोग भड़क जा रहे हैं। सीधे सवाल उठा रहे हैं, जब आपके पास जांच के लिए पर्याप्त उपकरण ही नहीं हैं तो फिर आप आए ही क्यों? रोडवेज स्टेशन पर यह स्थिति अक्सर देखने को मिल रही है। इसके बावजूद जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को यह सब नहीं दिख रहा है। स्वास्थ्य विभाग को अब बाजार में थर्मल स्कैनर तक नहीं मिल रहा है, जबकि तमाम निजी संस्थान भी इसे खरीद रहे हैं। इसकी कीमत दो हजार से पांच हजार रुपये तक है।
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