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    NISAR Satellite: ग्लेशियरों पिघलने और बादल फटने के रहस्यों को उजागर करेगा निसार, अतंरिक्ष में एतिहासिक छलांग के लिए भारत तैयार

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 11:58 AM (IST)

    NISAR Satellite इसरो का निसार मिशन जो जल नभ और थल की जांच में सक्षम है लॉन्च होने जा रहा है। यह हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने बादल फटने और भूस्खलन जैसी आपदाओं के कारणों को समझने में मददगार होगा। इससे कृषि वनस्पति और प्रदूषण नियंत्रण में भी सहायता मिलेगी। निसार से प्राप्त डेटा वैज्ञानिक शोध के लिए उपलब्ध रहेगा।

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    NISAR Satellite: ऐतिहासिक छलांग लगाने जा रहा निसार

    रमेश चंद्रा, नैनीताल। हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने और बादल फटने के रहस्यों को उजागर करने में उपग्रह निसार एरीज के लिए बेहद मददगार साबित होगा। बुधवार को ऐतिहासिक छलांग लगाने जा रहा निसार धरती के जल, नभ व थल की जांच परखने करने वाले पहले भारतीय मिशन की लांचिंग का एरीज के विज्ञानियों को बेसब्री से इंतजार है।

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    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक डॉक्टर मनीष नाजा ने बताया कि धरती के तमाम हिस्सों में आए दिन आपदाएं आती रहती है।

    इन घटनाओं के पीछे के कारणों को समझने के लिए निसार जैसे अत्याधुनिक मिशन की सख्त जरूरत थी और खासकर एरीज के लिए यह उपग्रह बेहद सहयोगी साबित होगा।

    दरअसल एरीज के लिए सबसे बड़ी चुनौती हिमालय के पिघलते और सिकुड़ते ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए साइंटिफिक उपाय तलाशने हैं। हिमालय दुनिया के बड़े हिस्से की जलवायु को प्रभावित करता है और इस बर्फीले शिखर पर जलवायु परिवर्तन का असर जारी है।

    निसार के जरिए हमें हिमालय के पिघलते ग्लेशियरों के सटीक आंकड़ों के अलावा वायुमंडलीय स्थिति और मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध हो सकेंगे। हिमालय राज्यों में बादल फटने जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

    इनके कुप्रभावों को हम देख पाते हैं, लेकिन इनके फटने के पीछे कारणों को सही से समझ नहीं पाए हैं। जिन्हें समझने को लेकर निसार की महत्ता को हम समझ सकते हैं, जो घटना के दौरान की सही डेटा उपलब्ध करा सकेगा। बादल फटने की उत्पत्ति को समझना नितांत जरूरी है।

    भू स्खलन पर्वतीय क्षेत्रों की बड़ी समस्या है। भू स्खलन के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें भूगर्भीय स्थिति को समझना बेहद जरूरी है। तेज वर्षा भू स्खलन का बड़ा कारण है, लेकिन भूस्खलन में जमीन की आंतरिक स्थिति को भी समझना भी बेहद जरूरी है।

    क्योंकि भूस्खलन के पीछे जमीन के भीतर की भूमिगत जल भी कारण हो सकता है, साथ ही भूमि की स्थिति यानी कमजोर संवेदनशील भी एक कारण हो सकती है। जिसे जानने के लिए निसार की महत्व को समझा जा सकता है।

    निदेशक डा मनीष ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है। बढ़ते तापमान के साथ कृषि या वनस्पतियों की परिस्थितियां भी बदलने लगी हैं। जिसका सर्वे करने में निसार बड़ी मदद करेगा और वनस्पतियों के संरक्षण को लेकर विज्ञानी उपाय तलाशने में मदद करेगा। साथ ही उपज को लेकर नई राह दिखाएगा।

    पर्वतीय राज्यों के लिए अभिशाप जंगलों की आग की जानकारी देने में निसार बड़ी भूमिका निभाएगा। इससे आग से नुकसान की सही आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे।

    साथ ही वायु मंडल में फैले प्रदूषण का पता लग सकेगा। तूफानों की सटीक जानकारी उपलब्ध मिल सकेगी। इन सब महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर इसरो और नासा का यह साझा महत्वाकांक्षी मिशन हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

    एरीज में मौसम संबंधी अनेक उपकरण

    नैनीताल: निदेशक डा मनीष नाजा ने बताया कि वर्तमान में एरीज के पास मौसम संबंधी आंकड़े जुटाने के लिए एसटी रडार जैसी सुविधा है, लेकिन यह दौर उपग्रहों का है, जो त्वरित जानकारी देने में सहायक होते हैं। निसान उपग्रह से जुटाए आंकड़े विज्ञानी शोध के लिए सभी को उपलब्ध रहेंगे। जिससे एरीज के लिए शोध आसान हो जाएंगे। जिस कारण एरीज के लिए यह मिशन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

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