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    चीन सीमा लिपुलेख तक भारत द्वारा सड़क बनाने से भड़का नेपाल, कालापानी क्षेत्र में लगाई फोर्स

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 14 May 2020 08:21 PM (IST)

    चीन सीमा तक बनी गर्बाधार-लिपुलेख सड़क को अतिक्रमण बता विरोध करने वाले नेपाल ने बुधवार को विवादित कालापानी क्षेत्र में सशस्त्र प्रहरी बल का बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) स्थापित कर दिया।

    चीन सीमा लिपुलेख तक भारत द्वारा सड़क बनाने से भड़का नेपाल, कालापानी क्षेत्र में लगाई फोर्स

    हल्द्वानी, अभिषेक राज: चीन सीमा तक बनी गर्बाधार-लिपुलेख सड़क को अतिक्रमण बता विरोध करने वाले नेपाल ने बुधवार को विवादित कालापानी क्षेत्र में सशस्त्र प्रहरी बल का बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) स्थापित कर दिया। इस बीच नेपाल की पूरी गतिविधि पर एसएसबी के साथ ही पिथौरागढ़ जिला प्रशासन नजर बनाए हुए है। गृह मंत्रालय को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

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    कैलास मानसरोवर यात्रा को आसान बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने गर्बाधार से लिपुलेख तक करीब 80 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार की है। इससे दिल्ली से कैलास मानसरोवर की यात्रा बस सात दिनों में ही पूरी हो जाएगी। भारतीय सेना और अर्धसैनिकों की आवाजाही भी चीन सीमा के अग्रिम पोस्टों तक आसान होगी। इस उपलब्धि पर मित्र राष्ट्र नेपाल के बोल शुक्रवार को उद्घाटन के दिन से ही बदल गए। नेपाल सरकार ने इसे अपनी भूमि पर अतिक्रमण करार देकर विरोध जताया।

     

    नेपाली विदेश मंत्रालय ने तो बकायदा विज्ञप्ति जारी कर भारत से विरोध जताया। पूरे देश में भारत के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया। इस बीच बुधवार को नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल ने कालापानी क्षेत्र के व्यास गांवपालिका छांगरु में बीओपी स्थापित कर जवानों को तैनात कर दिया। इस मौके पर धबार सशस्त्र प्रहरी के कार्य एवं सीमा सुरक्षा विभाग के प्रमुख एआइजी नारायण बाबू थापा भी मौजूद रहे।  

    हेलीकॉप्टर से पहुंचा नेपाली दल

    बीओपी पर जवानों को तैनात करने के लिए नेपाली सेना के हेलीकॉप्टर एम-16 का प्रयोग किया गया। दल के साथ नेपाली गृह मंत्री रामबहादुर थापा के सुरक्षा सलाहकार इंद्रजीत राई के साथ ही 12 अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। मामले में पिथौरागढ़ के डीएएम डॉ. वीके जोगदंडे ने बताया कि छांगरु में नेपाल सशत्र बल के बीओपी खुलने की अभी एसएसबी से सूचना नहीं मिली है। प्रशासन पूरे मामले में नजर रखे हुए है। जरूरत पड़ी तो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी।

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    गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग निगरानी का उद्देश्य!

    भारत-नेपाल संबंधों के जानकार रिटायर्ड मेजर बीएस रौतेला ने बताया कि नेपाल का उद्देश्य गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग की निगरानी है। हालांकि इससे हमारी तैयारी प्रभावित होने वाली नहीं। नेपाल मित्र राष्ट्र है, लेकिन उसकी हाल की गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

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