साइबर क्राइम रोकने के लिए न तकनीकी ज्ञान न उपकरण, कुमाऊं में 13 माह में दर्ज किए गए 153 मामले
ग्राहकों के बैंक खातों में सेंध लगाकर लाखों उड़ाने का मामला हो या आर्मी जवान बनकर सोशल साइट्स के जरिए ठगी। हर दिन साइबर अपराधी ठगी के नए तरीके आजमा रहे हैं।
नैनीताल, नरेश कुमार : ग्राहकों के बैंक खातों में सेंध लगाकर लाखों उड़ाने का मामला हो या आर्मी जवान बनकर सोशल साइट्स के जरिए ठगी। हर दिन साइबर अपराधी ठगी के नए तरीके आजमा रहे हैं। साइबर अपराध का बढ़ता ग्राफ पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पुलिस के पास इनसे निपटने के लिए न विशेषज्ञता है, न ही तकनीकी उपकरण। यही वजह है कि पुलिस अपराधियों की पकड़ तो दूर निशानदेही में नाकाम साबित हो रही है।
2018 के मुकाबले तीन गुना बढ़े मामले
कुमाऊं में पिछले 13 माह में 153 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 2018 के मुकाबले तीन गुना अधिक हैं। यह स्थिति भी तब है जब थाने पहुंचने वाले बहुत से पीडि़तों के मामले दर्ज ही नहीं किए जाते। इसमें ऊधमसिंह नगर सबसे शीर्ष पर बना हुआ है। ऐसे में साइबर क्रिमिनलों को रोकनापुलिस-प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है।
विभागीय जटिलता से नहीं मिल पाती सफलता
पुलिस के पास न तो इतने संसाधन हैं और न ही इतनी छूट की वह स्वतंत्र रूप से अपने स्तर पर मामले से निपट सके। साइबर अपराध से निपटने के लिए जिले में महज एक एसओजी सेंटर कार्य कर रहा है। उसके द्वारा भी बिना एफआइआर और एसएसपी के आदेश के कोई सूचना संबंधित थाने को उपलब्ध नहीं कराई जाती। लंबी प्रक्रिया के बाद जो सूचना थानों को मिलती भी है तो उस पर संजीदगी से अमल नहीं किया जाता।
कुमाऊं में नहीं खुला साइबर थाना
साइबर अपराधी जहां पढ़े लिखे और तकनीकी ज्ञान से दक्ष हैं, वहीं पुलिस को प्रशिक्षण की बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह प्रशिक्षण बढ़ते क्राइम पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। उधर राजधानी के साथ ही कुमाऊं के हल्द्वानी में भी एक साइबर थाना खोलने की योजना थी लेकिन पांच वर्ष बाद भी थाना नहीं खुला। जिस कारण एसओजी के जरिये साइबर क्राइम का प्रबंधन किया जा रहा है।
बीते 13 माह में दर्ज मामले जिलेवार
जिला मामले निवारण
अल्मोड़ा 05 05
नैनीताल 15 11
ऊधमसिंह नगर 117 85
पिथौरागढ़ 04 03
चम्पावत 05 00
बागेश्वर 07 01
कुल 153 105
डीआइजी ने कहा, आमजन भी हाें जागरूक
डीआइजी कुमाऊं जगतराम जोशी ने बताया कि साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए आम व्यक्ति को जागरूक होना जरूरी है। थोड़ी सावधानी बरत कर ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है। पुलिस द्वारा भी इससे निपटने के लिए प्रयास किए जा रही है। तकनीकी ज्ञान में निपुणता लाने के लिए दारोगाओं को समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
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