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    नैनीताल पर मंडराया संकट, सूखने लगे प्राकृतिक जलधारे; तो क्‍या नहीं बुझ पाएगी सैलानियों की प्‍यास!

    Updated: Sat, 29 Mar 2025 05:32 PM (IST)

    Natural Water Streams नैनीताल के प्राकृतिक जलस्रोतों पर बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कई जलस्रोत सूख चुके हैं या उनमें पानी की मात्रा कम हो गई है जिससे झील की बारिश पर निर्भरता बढ़ गई है। पारंपरिक तरीके से जलस्रोतों का रखरखाव जरूरी है। इस लेख में नैनीताल के प्राकृतिक जलस्रोतों की स्थिति उनके महत्व और संरक्षण के उपायों पर चर्चा की गई है।

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    Natural Water Streams: झील में लगातार बढ़ती गाद समस्या को और गंभीर बना रही है। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। Natural Water Streams: सरोवर नगरी में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप का दुष्प्रभाव झील के साथ ही शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों पर भी पड़ा है। आलम यह है कि प्राकृतिक जलस्रोत सूखने या इन स्रोतों में पान की मात्रा कम होने से झील की बारिश पर निर्भरता बढ़ गयी है। झील में लगातार बढ़ती गाद समस्या को और गंभीर बना रही है।

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    ऐसे में विशेषज्ञों ने अब शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों के पारंपरिक तरीके से रखरखाव करने की पुरजोर पैरवी की है। पालिका की ओर से 11 जलस्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए जल संस्थान को एक साल पहले दिया था, अब बमुश्किल जल संस्थान निविदा प्रक्रिया पूरी कर सका है और अप्रैल पहले सप्ताह से काम शुरू कर रहा है।

    पर्यटन सीजन में भुगतने होंगे इसके दुष्परिणाम

    उधर, झील में लगातार बढ़ती गाद समस्या को और गंभीर बना रही है। ऐसे में विशेषज्ञों ने अब शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों के पारंपरिक तरीके से रखरखाव करने की पुरजोर पैरवी की है। चेताया है कि यदि समय रहते यह नहीं किया गया तो इसका प्रभाव झील के अस्तित्व पड़ेगा और पर्यटन सीजन में इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे।

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    झील के जलागम क्षेत्र में पाए जाने वाले प्राकृतिक स्रोत ना केवल भूगर्भीय संरचना तंत्र को मजबूत बनाते हैं बल्कि इन स्रोतों के उपयोग के बाद शेष जल से झील रिचार्ज होती है।

    1872 के मानचित्र में सूखाताल क्षेत्र में आठ कुओं की जबकि इसी क्षेत्र में 1937 में सदानीरा चार कुओं की उपस्थित दर्ज है, इसके अलावा स्लीपी होलो में 1899 में प्राकृतिक स्रोत बताया गया है। परदाधारा, स्प्रिंग धारा व भाबर हाल के निकट प्राकृतिक स्रोत में गर्मी में केवल 25 प्रतिशत ही कमी होती है।

    प्राकृतिक जलस्रोत हैं झील रिचार्ज के आधार, जरूरी है संरक्षण

    नैनीताल: शहर में परदाधारा मल्लीताल, सिपाही धारा रईस होटल के समीप, हल्द्वानी रोड में कटोर पानी धारा, कृष्णापुर धारा, मल्लीताल कोतवाली के पास, स्प्रिंग काटेज के पास मल्लीताल, तारा लॉज, चूनाधारा, अनामिका के पास, मिडलेक, स्टोनले कम्पाउंड आदि में प्राकृतिक जलस्रोत से बड़ी आबादी प्यास बुझाती है।

    जागरण आर्काइव।

    बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, अतिक्रमण आदि की वजह से भाबर हाल कम्पाउंड, एटीआइ के पास, पालिका इंटर कालेज के समीप, विलायत काटेज के बगल में, मेट्रोपोल होटल परिसर में प्राकृतिक जलस्रोत अस्तित्वहीन या समाप्तप्राय हो चुके हैं।

    जिन स्रोतों में पानी की मात्रा भरपूर हैं, वहां भी देखरेख नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार शहर की परिधि में 22 प्राकृतिक जलस्रोत हैं, जिनका संरक्षण जरूरी है। यदि इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इसका सीधा प्रभाव पर्यटन पर पड़ेगा।

    नैनीताल में सूखने लगे हैं प्राकृतिक जलधारे

    नैनीताल: सरोवर नगरी में बारिश नहीं होने का असर अब प्राकृतिक धारों पर पड़ने लगा है। सरोवर नगरी में कभी 16 प्राकृतिक जलस्रोत थे, जिसमें से चार का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो चुका है। जबकि चार में पानी की मात्रा बेहद कम हो गई है जबकि आठ प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग पेयजल के लिए होता है।

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    नगरपालिका की ओर से इन स्रोतों को पुनर्जीवित करने व सुंदरीकरण करने को जल संस्थान को बजट दिया गया है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका है।

    शहर के इर्दगिर्द 22 प्राकृतिक जलधारा-नौले हैं। इन जलधाराओं के ओवरफ्लो होने से ही नैनी झील रिचार्ज होती है। झील में गाद की मात्रा बढ़ने से यह रेन वाटर सेड हो गई है, गाद एकत्रित होने से झील के प्राकृतिक स्रोतों में पानी की कमी हो गई है, या सूख गए हैं। झील के वर्षा संग्रहण होना सही नहीं है, ऐसे में झील में गाद ना जाए और स्रोतों का रखरखाव पारंपरिक तरीके से सुनिश्चित किया जाए। - डा. कपिल जोशी, पूर्व पीसीसीएफ, नैनीताल

    शहर के 11 प्राकृतिक जलस्रोतों को पुर्नजीवित करने व संवारने को लेकर पालिका से बजट मिल गया है। विभागीय स्तर पर जीर्णोद्धार कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। ठेकेदार के साथ अनुबंध के बाद करीब दस दिन में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। - रमेश गर्ब्याल, अधिशासी अभियंता जल संस्थान नैनीताल

    शहर के प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण को लेकर पालिका गंभीर है। इन स्रोतों के आसपास सफाई चरणबद्ध तरीके से हो, इसकी कोशिश की जाएगी। प्राकृतिक जलस्रोतों ही झील के रिचार्ज सेंटर हैं। बड़ी आबादी की प्यास इन जलस्रोतों से ही बुझती है। झील संरक्षण के लिए जो भी संभव होगा, किया जाएगा। - डा. सरस्वती खेतवाल, पालिकाध्यक्ष, नैनीताल

    शहर में प्राकृतिक जलस्रोतों की हालत दयनीय है। केवल जीर्णोद्धार से काम नहीं चलेगा, इनका रखरखाव भी हो। प्राकृतिक जलस्रोतों के आसपास पूजा सामग्री रखने की परंपरा है, जिसे बंदर-जानवर फैला देते हैं और आसपास गंदगी होती है। पालिका व स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। - जय जोशी, संस्थापक ग्रीन आर्मी