Nanital News: नैनीताल नगर पालिका की आरक्षण सूची में बड़ा बदलाव, टूट गया कई नेताओं का सपना...
Nainital Municipality Elections Update News नैनीताल नगर पालिका में पहली बार आम महिला के लिए अध्यक्ष पद आरक्षित हुआ है। भाजपा और कांग्रेस की महिला दावेदारों में टिकट के लिए जोर-आजमाइश शुरू हो गई है। विधायक सरिता आर्य के बेटे मोहित आर्य का सपना टूटा है। अब आरक्षण बदलने के साथ भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है।

किशोर जोशी, नैनीताल। देश की दूसरी सबसे पुरानी नगरपालिका नैनीताल में पालिकाध्यक्ष की कुर्सी अब नैनीताल के इतिहास में पहली बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो चुकी है। शहरी विकास विभाग की ओर से जारी अंतिम आरक्षण सूची में यह बदलाव हुआ है।
पहले अनंतिम आरक्षण सूची में इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित प्रस्तावित किया गया था। सामान्य महिला सीट होनेे के बाद अब भाजपा-कांग्रेस की सामान्य महिला दावेदार सियासी उड़ान भरने के लिए तैयार हैं और संगठन के पदाधिकारियों व राजनीतिक आकाओं के जरिये टिकट का समीकरण फिट करने में जुट गई हैं। अंतिम आरक्षण के बाद विधायक सरिता आर्य के पुत्र मोहित आर्य का चेयरमैन पद से चुनावी राजनीति में एंट्री का ख्वाब टूट गया है।
अनंतिम आरक्षण में चेयरमैन सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। भाजपा के पर्यवेक्षकों प्रदेश मंत्री गुरविंदर सिंह चंडोक, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य कुंदन लटवाल व आशीष गुप्ता ने कार्यकर्ताओं के साथ रायशुमारी की थी। इसमें विधायक पुत्र मोहित सहित वरिष्ठ नेता अतुल पाल,संतोष कुमार, केएल आर्य, सागर आर्य, अजय लाल, अशोक कुमार, रविशंकर, मनोज कुमार आदि ने दावेदारी की थी।
..तो विधायक पुत्र के विरोध से बदला आरक्षण
पालिकाध्यक्ष पद पर विधायक पुत्र मोहित लंबे समय से तैयारी में थे। अनंतिम आरक्षण के बाद उन्होंने पूरे शहर को होर्डिंग्स से पाट दिया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन के पर्यवेक्षकों की रायशुमारी में एक स्वर में दावेदारों ने विधायक पुत्र को टिकट का विरोध कर संगठन से ही किसी आम कार्यकर्ता को टिकट देने पर समर्थन का विरोध किया। पार्टी रणनीतिकार यह नहीं चाहते थे कि पालिका चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा हावी ना हो जाए और पहली बार जीत की संभावनाओं पर कार्यकर्ता ही पलीता ना लगा दें।
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अब आरक्षण बदलने के साथ भाजपा व कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। भाजपा से महिलाओं में महिला मोर्चा पूर्व जिलाध्यक्ष जीवंती भट्ट, ज्योति ढौंडियाल, पूर्व दर्जा मंत्री शांति मेहरा, कविता गंगोला, रीना मेहरा जबकि कांग्रेस से डा सरस्वती खेतवाल, सपना बिष्ट, डा भावना भट्ट की मजबूत दावेदारी है। उधर कांग्रेस में पूर्व विधायक बिहारी लाल के पुत्र सुभाष चंद्र, पूर्व पलिकाध्यक्ष संजय कुमार संजू सहित अन्य भी दौड़ से बाहर हो गए हैं।
वार्ड आरक्षण की तस्वीर भी साफ
नैनीताल: नगरपालिका नैनीताल में 15 वार्डों के आरक्षण की तस्वीर साफ हो गई है। अंतिम आरक्षण तय होने के बाद श्री कृष्णापुर, मल्लीताल बाजार, आवागढ़, नैनीताल क्लब, अपर माल, अयारपाटा, नारायण नगर, स्नोव्यू वार्ड अनारक्षित, स्टाफ हाउस व शेर का डांडा को अनुसूचित जाति, राजभवन व हरिनगर अनुसूचित जाति महिला, सूखाताल को पिछड़ा वर्ग महिला, सैनिक स्कूल वार्ड को सामान्य महिला के लिए आरक्षित किया गया है।
नैनीताल के अब तक के भारतीय पालिकाध्यक्ष
- 1941 से 1953 तक-जसौद सिंह बिष्ट
- 1953 से 1964 तक-मनोहर लाल साह
- 1964 से 1971 तक बालकृष्ण सनवाल
- 1971 से 1977 तक किशन सिंह तड़ागी
- 1977-1988 तक प्रशासक
- 1988 से 1994 तक राम सिंह रावत
- 1994 से 1997 तक प्रशासक
- 1997 से 2002 तक संजय कुमार संजू
- 2002 से 2008 तक सरिता आर्य
- 2008 से 2013 तक मुकेश जाेशी मंटू
- 2013 से 2018 तक श्याम नारायण
- 2018 से 2024 तक सचिन नेगी
ब्रिटिशकाल में बनाया गया पालिका का बाइलॉज आज भी लागू
नैनीताल शहर में पालिका का इतिहास बेहद रोचक है।ब्रितानी हुकूमत में बसाए और संवारे गए नैनीताल को साफ-सुथरा व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक प्रभावी बायलॉज भी तैयार किया गया था। इसके तहत सार्वजनिक स्थान पर थूकने या गंदगी करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया था।
ट्रैफिक नियत्रंण के लिए व्यवस्था
शहर को साफ सुथरा व खूबसूरत बनाए रखने के लिए घरों के आगे तक कपड़े सुखाने पर पाबंदी का प्रावधान है। पूर्व पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण के अनुसार अंग्रेजी राज में बने बायलॉज में दो दर्जन से अधिक प्राविधान थे। इसमें माल रोड में ट्रैफिक नियंत्रित करने के लिए लेक ब्रिज टैक्स वसूली की व्यवस्था की गई थी।
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नालों के दोनों ओर आठ मीटर दायरे में निर्माण पर पाबंदी, सार्वजनिक मार्ग, झील में गिरने वाले नाले-नालियों में शौच करते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना। शहर में बकरी पालने पर पाबंदी, पालतू जानवर सड़क पर नजर आने पर गौशाला भेजने का प्रावधान है। आवारा कुत्तों को मारने का आदेश पशु क्रूरता अधिनियम लागू होने के बाद समाप्त हो गया। आजादी के बाद मनोहर लाल साह पहले निर्वाचित चेयरमैन बने। तब नगरपालिका के पांच वार्डो के 11 सदस्य होते थे।

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