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भारी भरकम नौकरी छोड़ करने लगे मशरूम की खेती, लाखों की कमाई के साथ कई लोगों को दे रहे रोजगार nainital news

देवलातल्ला गांव के युवा किसान अश्वनी मेहरा ने तीन साल पहले बटन मशरूम की खेती शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी मेहनत रंग लाई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 04:42 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 04:42 PM (IST)
भारी भरकम नौकरी छोड़ करने लगे मशरूम की खेती, लाखों की कमाई के साथ कई लोगों को दे रहे रोजगार nainital news
भारी भरकम नौकरी छोड़ करने लगे मशरूम की खेती, लाखों की कमाई के साथ कई लोगों को दे रहे रोजगार nainital news

शहबाज अहमद, हल्द्वानी। जिन लोगों को लगता है खेती घाटे का सौदा है, उनकी यह धारणा हल्द्वानी के गौलापार पहुंचकर बदल सकती है। देवलातल्ला गांव के युवा किसान अश्वनी मेहरा ने तीन साल पहले बटन मशरूम की खेती शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेहनत रंग लाई। आज बटन मशरूम से न सिर्फ उनकी आर्थिकी मजबूत हो रही है, बल्कि गांव के कई परिवारों के लिए उनका यह स्वरोजगार रोजगार भी मुहैया करा रहा है।

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अश्वनी ने बताया कि बीरशिवा स्कूल से इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। खेती-किसानी उनका विषय नहीं था। उन्होंने ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन में सालाना 10 से 12 लाख पैकेज पर तीन साल तक काम किया। इस नौकरी के बाद मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में वह सहायक पद पर रहे और साल 2017 में यहां से भी इस्तीफा दे देकर घर लौट आए। यहां उन्होंने खेती को रोजगार का मुख्य साधन बनाने की ठानी। बैंक से लोन लेकर बटन मशरूम की खेती शुरू की। अब तीन साल से अश्वनी मशरूम के उत्पादन में लगातार कामयाबी की ओर बढ़ रहे हैं।

उप्र में भी जाता है मशरूम

अश्वनी ने बताया कि हर माह करीब दस टन तक मशरूम उत्पादन होता है। इसके अलावा मशरूम की डिमांड न केवल हल्द्वानी में, बल्कि  यूपी के गोरखपुर व लखीमपुर खीरी तक है। मशरूम तैयार करने के लिए लगाए गए प्लांट में करीब एकसाथ 10 से 15 किसान काम करते हैं। इसके अलावा कटाई के दौरान गांव के कई अन्य किसान भी काम करते है। अश्वनी हर माह सभी किसानों को मिलाकर करीब एक लाख रुपये तक वेतन बांटते हैं।

चार बीघा जमीन पर बोए मशरूम से होती है अच्छी कमाई

अश्वनी बताते है कि चार बीघा जमीन पर मशरूम का उत्पादन किया जाता है। जिससे हर माह बैंक का लोन, कर्मचारियों का वेतन व प्लांट के मेंटीनेंस के बाद करीब एक लाख रुपये बचा लेते हैं।

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