पक्षियों की दुनिया का ज्ञान देगा हिमालयी पर्यटन को नई पहचान, देशभर में तैयार किए जाएंगे 5.50 लाख नेचर लवर्स
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल में राष्ट्रीय स्तरीय पक्षी पहचान एवं बुनियादी पक्षी विज्ञान विषयक कार्यशाला सोमवार से शुरू हो गई है।
अल्मोड़ा, जेएनएन : पर्यावरण एवं पक्षी प्रेमियों को प्रशिक्षित कर पर्यटन विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए हरित कौशल विकास कार्यक्रम के तहत जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल में राष्ट्रीय स्तरीय 'पक्षी पहचान एवं बुनियादी पक्षी विज्ञानÓ विषयक 18 दिनी कार्यशाला सोमवार से शुरू हो गई है। शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून डॉ. जीएस रावत व निदेशक संस्थान डॉ. आरएस रावल ने संयुक्त रूप से किया। यहां वर्ष 2021 तक अलग-अलग राज्यों के 5.50 लाख लोगों को प्रशिक्षित कर कौशल विकास के लिए तैयार किया जाएगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पहल पर हरित कौशल विकास कार्यक्रम के तहत जीबी पंत राष्टï्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल में राष्टï्रस्तरीय 'पक्षी पहचान एवं बुनियादी पक्षी विज्ञानÓ विषयक 18 दिनी कार्यशाला शुरू हो गई है। केंद्र में मुख्य अतिथि पूर्व निदेशक भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून डॉ. जीएस रावत व निदेशक संस्थान डॉ. आरएस रावल ने संयुक्त रूप से किया। डॉ. रावत ने कहा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का लक्ष्य वर्ष 2021 तक इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये देशभर में लगभग 5.50 लाख लोगों को वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कौशल विकास के लिए तैयार करना है। पक्षियों को पहचानने का प्रशिक्षण लेकर प्रशिक्षित लोग उत्तराखंड मेें पर्यटन की संभावना को नया आयाम देेंगे।
अध्ययनकर्ताओं को मिलेगा बड़ा लाभ : डॉ. रावल
निदेशक संस्थान डॉ. रावल ने कहा, पूरे भारत में 1300 से अधिक पक्षी प्रजातियां चिह्निïत की जा चुकी हैं। जैव विविधता के लिहाज से उर्वर उत्तराखंड में 600 से ज्यादा परिंदों का संसार बसता है। हरित कौशल कार्यक्रम इसे सतत पर्यटन से जोडऩे का काम कर रहा। उन्होंने युवाओं को पक्षी अवलोकन व फोटाग्राफी का कौशल विकसित कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की जरूरत बताई। ताकि स्वरोजगार व आर्थिकी संभावनाओं को मुकाम दिया जा सके। कहा कि यह देश दुनिया के पर्यटकों तथा इस क्षेत्र में अध्ययन करने वालों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। प्रशिक्षित युवा जनपद स्तर पर पर्यटन व स्वरोजगार विकास में योगदान देंगे।
इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस
पक्षियों की पहचान, पारिस्थितिकीय उपयोग, आवास, जरूरतें, पर्यावरण में उपयोगिता, लोक विज्ञान में उनके महत्व आदि। इसके लिए कार्बेट नेशनल पार्क, रामनगर के स्यात, पंगूठ, पनगोट, किलबरी, कुंजाखरक आदि में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सेमिनार में उत्तराखंड के पांच जिलों समेत उप्र, उड़ीसा, असम, गुजरात, राजस्थान राज्यों से करीब 15 लोग पहुंचे हैं।
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