पार्कों के दस किमी के दायरे में खनन पर रोक, लेनी होगी अनुमति
अब पार्कों के दस किलोमीटर के दायरे पर खनन नहीं किया जाएगा। हार्इकोर्ट ने मामले से संबंधित याचिका पर सुनवार्इ करते हुए ये फैसला सुनाया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के नेशनल पार्कों के दस किमी दायरे में खनन पर रोक लगाते हुए इस संबंध में दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि यदि सरकार खनन कराती है तो इसके लिए वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति लेनी होगी।
हरिद्वार निवासी अयूब ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राजाजी नेशनल पार्क में मोतीचूर रेंज में खनन के पट्टे लीज पर दिए गए हैं। जिससे वन्य जीवों को खतरा पैदा हो गया है। खनन के कारण वन्य जीव प्रभावित होकर आबादी की तरफ आने लगे हैं। लिहाजा पार्क क्षेत्र के आसपास खनन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को मामले को सुनने के बाद उत्तराखंड के नेशनल पार्कों के दस किलोमीटर दायरे में खनन पर रोक लगा दी है।
साथ ही कहा है कि यदि सरकार खनन कराती है तो उसे पहले वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति लेनी होगी। कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। गौरतलब है कि राज्य में छह नेशनल पार्क कार्बेट, राजाजी, गंगोत्री, गोविंद, फूलों की घाटी व नंदादेवी हैं, जबकि सात अभयारण्य मसूरी, केदारनाथ, आस्कोट, सोना नदी, बिंनसर, नंधौर व गोविंद पशु विहार हैं। राज्य में चार आसन, झिलमिल, पवलगढ़ व नैनादेवी कंजर्वेशन रिजर्व हैं।
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