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    बर्फ पड़ते ही शुरू हुआ हिमालयी वन्‍यजीवों का माइग्रेशन, अवैध शिकारी भी सक्रिय nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 30 Nov 2019 11:00 PM (IST)

    उच्च हिमालयी वन्य जीवों के माइग्रेशन का समय आ चुका है। उच्च हिमालय में हिमपात के साथ ही वन्य जीव तलहटी को माइग्रेशन करते हैं। ...और पढ़ें

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    बर्फ पड़ते ही शुरू हुआ हिमालयी वन्‍यजीवों का माइग्रेशन, अवैध शिकारी भी सक्रिय nainital news

    पिथौरागढ़, जेएनएन : उच्च हिमालयी वन्य जीवों के माइग्रेशन का समय आ चुका है। उच्च हिमालय में हिमपात के साथ ही वन्य जीव तलहटी को माइग्रेशन करते हैं। इस समय उन्हें अवैध शिकारियों का सबसे अधिक खतरा रहता है। सुरक्षा के उपाय नही के बराबर होने से वन्य जीवों को शिकारियों की गोली या फिर बुग्यालों में लगाई आग लील लेती है।

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    अपने साथ बच्‍चों को भी बचाते हैं कस्‍तूरा

    उच्च हिमालयी वन्य जीव  हैं। जिसमें राज्य पशु कस्तूरा और राज्य पक्षी मोनाल जैसे भी शामिल हैं। दोनों अपनी विशेषताओं के कारण  शिकारियों की नजर में रहते हैं। कस्तूरा को इस सीजन में  सबसे अधिक खतरा रहता है। कस्तूरा मृग भादो माह यानि मध्य अगस्त से मध्य सितंबर तक प्रजनन करता है।  नवंबर  माह से  कस्तूरा मृग को माइग्रेशन करना पड़ता है। दिसंबर अंत तक स्नो लाइन के काफी नीचे आने के कारण कस्तूरा मृग मध्य हिमालय में गांवों के निकट तक पहुंच जाते हैं। इस दौरान उनके साथ में  एक डेढ़  माह पूर्व जन्मे बच्चे  होते हैं। कस्तूरा को अपनी जान के साथ इन बच्चों को भी बचाना होता है। उसकी इस लाचारी का फायदा अवैध शिकारी उठाते हैं। उच्च हिमालय में भारी हिमपात के चलते वन्य जीवों का माइग्रेशन तेजी से होने लगा है।

    बर्फ गिरने के साथ माइग्रेशन करता है कस्‍तूरा मृग

    कस्तूरा मृग हिमरेखा के साथ रहने वाला जीव है। ज्या़ें- ज्यो बर्फ गिरने से हिमरेखा नीचे को खिसकती है तो कस्तूरा मृग भी नीचे को उतरता है। कस्तूरा मृग झुंड में आते हैं। हॉलाकि नाभि में कस्तूरा रखने के कारण शिकारियों का निशाना नर कस्तूरा होता है। झुडोंं में रहने के कारण शिकारियों की गोली से  मची भगदड़  में बच्चे से लेकर मादा कस्तूरा भी शिकार बन जाती हैं। इसके अलावा कस्तूरा माइग्रेशन के दौरान बुग्यालों में शरण लेते हैं। बुग्यालों की घास इस समय सूखी रहती है। शिकारी बुग्यालों के चारों तरफ आग लगा देते हैं। इस आग की चपेट मेंं आकर कस्तूरा मृग मारे  जाते हैं।

    मोनाल भी करता है माइग्रेशन

    राज्य पक्षी मोनाल भी कस्तूरा की तरह ही माइग्रेशन करता है। इसके फर और मांस के लिए इसका शिकार किया जाता है। मौनाल का मांस बेहद स्वादिष्ट और गर्म माना जाता है। इस दौरान मुनस्यारी सहित इस ऊंचाई वाले जंगलों में रहते हैं।  शिकारी इनकी फिराक में रहते हैं ।

    शीतकालीन माइग्रेशन में सुरक्षा आवश्यक

    शीतकालीन माइग्रेशन के दौरान उच्च हिमालयी वन्य जीवों के लिए सुरक्षा आवश्यक रहती है। ठंड बढ़ जाने से ऊंचाई वाले स्थानों पर स्थितियां विपरीत हो जाती हैं। शिकारी संसाधनों लैस होते हैं वे शिकार के एिल पहुंच जाते हैं परंतु वन विभाग संसाधन नहीं जुटा पाता है। पूर्व सैनिकों की मदद से शिकार पर रोक लगाने का प्रयास नाकाफी है। जब तक विभाग कदम उठाता है तब तक शिकारी अपना खेल खेल जाते हैं।

    कस्तूरा मृगों की संख्या का नही है पता

    पिथौरागढ़ , चमोली, उत्त्तरकाशी के उच्च हिमालय की कस्तूरा मृगों की संख्या का पता नहीं है।  इनकी गणना तक नहीं हुई है। जिसके चलते इनके शिकार के आंकड़े भी नहीं हैं।

    बीते वर्ष शीतकाल में बुग्यालों में आग लगने की 16 घटनाएं घटी थी

    बीते वर्ष शीतकाल में पंचाचूली की तलहटी के बुग्यालों में आग लगने की 16 घटनाएं लगी थी। वन विभाग की टीम भी यहां तक पहुंची थी। इस दौरान इस क्षेत्र में कोई नही रहता है। वन विभाग और जानकारों के अनुसार क स्तूरा के शिकार के लिए बुग्यालों में आग लगाई जाती है।

    अवैध शिकार पूरह रोका जाएगा

    पूरन देऊपा , वन रेंजर , मुनस्यारी ने बताया कि उच्च हिमालयी वन्य जीवों के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग ने तैयारियां की है। वन्य जीवों के माइग्रेशन करते ही वन कर्मियों की टीम क्षेत्र को रवाना हो जाएगी। इसके लिए पूर्व सैनिकों की भी म मदद ली जाएगी। अवैध शिकार पर अंकुश लगाने के लिए विभाग प्रयासरत है।

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