Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमालय प्रदूषण की चपेट में आया तो पानी के लिए कई देशों को जूझना पड़ेगा nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 30 Nov 2019 02:45 PM (IST)

    समय रहते यदि प्रदूषण से पार नहीं पाया गया तो हिमालय रीजन से लगे देशों में पानी के सर्कुलेशन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    हिमालय प्रदूषण की चपेट में आया तो पानी के लिए कई देशों को जूझना पड़ेगा nainital news

    नैनीताल, रमेश चंद्रा : वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव से भविष्य में हिमालय भी अछूता नहीं रह सकता। समय रहते इस समस्या पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो हिमालय रीजन से लगे देशों में पानी के सर्कुलेशन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। भारत में वायु प्रदूषण में नियंत्रण पाने में दो दशक का समय लग सकता है। यह बात जागरण से मुलाकात में अहमदाबाद से पहुंचे वायु मंडलीय सेनि. वैज्ञानिक प्रो. श्याम लाल ने कहीं। प्रो. श्याम इसरो के गैसेस पौल्युटेड के संस्थापक रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रदूषण मुक्‍त होने के लिए देश काे आर्थिक रूप से संपन्‍न होगना होगा

    प्रो. श्याम ने कहा कि भारत में पराली से वायु प्रदूषण की समस्या चंद दिनों तक सीमित रहती है। इसके अलावा कई अन्य कारण हैं जो इसके प्रमुख जिम्मेदार हैं। तेजी से बढ़ता औद्योगिकरण, कोयला व मोटर वाहन इस दिशा में अधिक प्रभावी छोड़ रहे हैं। जिस कारण प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल हिमालय पर असर अधिक नहीं पड़ा है। परंतु हालात यही रहे तो तापमान बढ़ेगा और ग्लेशियरों को तेजी से पिघलने से नहीं रोका जा सकेगा। जिसका सीधा असर दक्षिण एशिया के देशों के जलापूर्ति पर पड़ेगा। क्योंकि हिमालय रिजन से लगे देशों के पानी का एक बड़ा स्रोत हिमालय है। बहरहाल यह समस्या बहुत जल्दी उत्पन्न होने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण पर जल्द नियंत्रण नहीं पाए जा सकने का एक आधार देश की आर्थिक स्थिति है। जिसे मजबूत करने के लिए अभी कई बरस लग जाएंगे। जिस दिन आर्थिक रूप से देश संपन्न हो जाएगा, उस दिन से यहां वायु प्रदूषण की समस्या खत्म होनी शुरू हो जाएगी। यूरोप इसका उदाहरण हैं। 50 साल पहले तक यूरोपीय देश प्रदूषण की चपेट में रहे थे।

    सोलर एनर्जी का प्रयोग बढ़ाना होगा

    एरीज के वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा ने कहा कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लाने के लिए सोलर एनर्जी जैसे साधन को बड़े स्तर पर उपयोग में लाना होगा। कोयले का प्रयोग रोकना होगा। भोजन बनाने के लिए घरेलू गैस का अधिक से अधिक प्रयोग करना होगा। प्रदूषण मुक्त अत्याधुनिक वाहनों को प्रयोग में लाना होगा। कार्बन डाईआक्साइड, मिथेन, सल्फर डाईआक्साइड आदि ग्रीन गैसों के उत्सर्जन में अंकुश लगाना होगा। तभी जाकर इस समस्या से निजात पाया जा सकेगा। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पर्वतीय क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत कम है।

    यह भी पढ़ें : नैनीताल में सड़कों पर बिछी बर्फ की चादर, कुमाऊं में हाे रही झमाझम बारिश

    यह भी पढ़ें : भारत सरकार से मिली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की अनुमति, 10 करोड़ रुपये हुए जारी 

    comedy show banner
    comedy show banner