Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंडी परिषद के अध्यक्ष गजराज सिंह ने कहा, किसानों से दोगुनी कीमत पर खरीदेंगे म़डुआ

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 07 Mar 2020 09:01 AM (IST)

    पहाड़ के पारंपविरक उत्पादों का सही मूल्य दिलाकर मंडी परिषद ने किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने का प्रयास किया है।

    मंडी परिषद के अध्यक्ष गजराज सिंह ने कहा, किसानों से दोगुनी कीमत पर खरीदेंगे म़डुआ

    हल्द्वानी, जेएनएन : पहाड़ के पारंपविरक उत्पादों का सही मूल्य दिलाकर मंडी परिषद ने किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने का प्रयास किया है। इसी वर्ष राज्य में 11 पर्वतीय जिलों के किसानों ने 8433108 रुपये का मंडुवा समेत अन्य उत्पादों को बेचा। इसके लिए मंडी ने 28 विशेष क्रय केंद्र भी बनाए थे।  

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुक्रवार को दैनिक जागरण के मिनी मैराथन के उद्घाटन को पहुंचे मंडी परिषद के अध्यक्ष गजराज सिंह ने बताया कि नवंबर, दिसंबर व जनवरी में मंडुवा, झिंगुरा, चौलाई, सोयाबीन, काली सोयाबीन (भट) मंडी ने खरीदा। 590 किसानों ने उत्पादों को सीधे मंडी में बेचा गया। तीन दिन में ही उनके खातों में भुगतान भी हो गया। राज्य बनने के बाद इस तरह की पहल पहली बार हुई। इससे किसान खुश हैं। अभी तक 28 केंद्रों में 3151.650 क्विंटल मंडुवा, 119.430 क्विंटल झिंगुरा, 45.889 क्विंटल चौलाई, 19.020 सोयाबीन और 3.726 क्विंटल भट की खरीद की गई है। इससे अभी तक 8333108 रुपये की खरीद हो चुकी है।

    यह रखा गया मूल्य

    गजराज का कहना है कि मैदानी क्षेत्रों में होने वाले उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले से तय था, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों के उत्पादों को व्यापारी औने-पौने दाम में खरीदते थे। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। मंडी परिषद द्वारा 25 रुपये मंडुवा, 20 रुपये झिंगुरा, 52 रुपये चौलाई, 42 रुपये प्रतिकिलो की दर से भट की खरीद की गई। पहले मंडुवे की कीमत ही आठ से 10 रुपये मिलती थी।

    पहाड़ में खुलेंगे 15 उप मंडियां

    मंडी परिषद के अध्यक्ष गजराज सिंह बिष्ट ने बताया कि मैदानी में क्षेत्रों में मंडियां तो हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त मंडी न होने से किसानों को उत्पादों की बिक्री की परेशानी होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए मंडी परिषद ने पर्वतीय जिलों में 15 उपमंडियां बनाने का निर्णय लिया है। इसे एक साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। इससे किसानों को काफी हद तक राहत मिल जाएगी।

    यह भी पढ़ें : पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में सुनवाई अब पहली मई को 

    यह भी पढ़ें : राजधानी चयन आयोग ने गैरसैंण को 17 आधारों पर राजधानी के लिए अनुपयुक्त बताया