Move to Jagran APP

MS Dhoni Retire : अल्मोड़ा में है धोनी का पैतृक गांव, 42 साल पहले पिता रोजगार के लिए जा बसे थे रांची

MS Dhoni Retire स्वतंत्रता दिवस के अवस पर अचानक से अंतरराष्ट्रीय क्रिेकेट को अलविदा कहने वाले महेन्द्र सिंह धोनी इन दिनों सुर्खियों में हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 12:28 PM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 12:28 PM (IST)
MS Dhoni Retire : अल्मोड़ा में है धोनी का पैतृक गांव, 42 साल पहले पिता रोजगार के लिए जा बसे थे रांची
MS Dhoni Retire : अल्मोड़ा में है धोनी का पैतृक गांव, 42 साल पहले पिता रोजगार के लिए जा बसे थे रांची

नैनीताल, जेएनएन : स्वतंत्रता दिवस के अवस पर अचानक से अंतरराष्ट्रीय क्रिेकेट को अलविदा कहने वाले महेन्द्र सिंह धोनी इन दिनों सुर्खियों में हैं। भारत को विश्वकप दिलाने के साथ ही उनके हेलीकॉप्टर शॉट के लिए हर कोई उन्हें याद कर रहा है। अपने शानदार खेल से देशभर के खेल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले धोनी का मूल गांव उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के जैंती तहसील में है। उनका पैतृक गांव ल्वाली आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यही कारण है कि गांव पलायन झेलने के लिए मजबूर है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले धोनी कभी अपने पैतृक गांव पहुंचेंगे। ग्रामीणों के मुताबिक, वर्ष 2004 में महेंद्र सिंह धोनी का परिवार आखिरी बार अपने गांव आया था। गांव में पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं की आबादी अधिक है। 

loksabha election banner

40 साल पहले छोड़ था धोनी के परिवार ने गांव

किक्रेटर महेंद्र सिंह धोनी के पिता पान सिंह ने 40 साल पहले अपना पैतृक गांव को छोड़ दिया था। वह रोजगार के लिए रांची चले गए। बाद में वह वहीं रहने लगे। हालांकि अभी धोनी के पिता धार्मिक आयोजनों में गांव में आते हैं। धोनी के चाचा घनपत सिंह भी अब गांव में नहीं रहते हैं। वह भी चार वर्ष पूर्व गांव से पलायन कर हल्द्वानी बस गए हैं। धौनी का परिवार वर्ष 2004 में गांव आया था। उत्तराखंड गठन से पूर्व महेंद्र धौनी का अपने पैतृक गांव में जनेऊ संस्कार हुआ था।

गांव में बचे हैं सिर्फ 25 परिवार 

ग्राम प्रधान दिनेश सिंह धौनी के अनुसार ल्वाली ग्राम पंचायत में कुल 45 परिवार थे। लेकिन सुविधाओं के अभाव में पलायन के कारण अब 25 परिवार रह गए हैं। आबादी लगभग सौ है। ल्वाली गांव के तोक विराड़ी में और ज्यादा पलायन है। वहां 40 में से आठ दस परिवार (आबादी 32) ही गांव में हैं, बाकी सब पलायन कर गए हैं। ग्राम प्रधान कहते हैं कि थोड़ा बहुत कष्ट तो पहाड़ के हरेक गांव में होता है। स्वतंत्रता संग्राम सेनीनी रामसिंह धौनी चायखान पुभाऊं मोटरमार्ग बन चुका है। क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी के गांव को तो सड़क सुख मिल चुका मगर इसका तोक विराड़ी ढाई किमी दूर है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.