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    Nainital High Court का बड़ा फैसला, उत्‍तराखंड सरकार की मान्यता के बिना नहीं चला सकेंगे मदरसा

    Illegal Madrasas उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के विकास नगर स्थित इनामुल उलूम सोसायटी को अंतरिम राहत देते हुए राज्य सरकार को सोसायटी संचालित भवन की सील खोलने का निर्देश दिया है। इस निर्णय में याचिकाकर्ता को यह वचन देना होगा कि राज्य सरकार से अपेक्षित मान्यता के बिना वह कोई मदरसा संचालित नहीं करेंगे। हाई कोर्ट के इस फैसले को दूरगामी और सरकार के पक्ष में बताया जा रहा है।

    By kishore joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 02 Apr 2025 08:25 PM (IST)
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    Illegal Madrasas: नैनीताल हाई कोर्ट। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। Illegal Madrasas: हाई कोर्ट ने देहरादून के विकास नगर स्थित इनामुल उलूम सोसायटी को अंतरिम राहत देते हुए राज्य सरकार को सोसायटी संचालित भवन की सील खोलने का निर्देश दिया। इस निर्णय में याचिकाकर्ता को यह वचन देना होगा कि राज्य सरकार से अपेक्षित मान्यता के बिना वह कोई मदरसा संचालित नहीं करेंगे।

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    जुबेर अहमद की याचिका पर हुई सुनवाई

    हाई कोर्ट के निर्णय को दूरगामी व सरकार के पक्ष में बताया जा रहा है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में सोसाइटी के अध्यक्ष जुबेर अहमद की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि सोसायटी मदरसा चलाती है। सोसायटी के परिसर को सरकार ने गैर कानूनी तरीके से सील कर दिया है।

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    महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने रक्षा सरकार का पक्ष

    याचिककार्ता ने सोसायटी के परिसर की सील हमेशा के लिए खोलने के लिए राज्य को निर्देश दिए जाएं। बुधवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता मदरसा चला रहा है और इस संबंध में तय नियमों का उल्लंघन कर रहा है।

    प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

    सुनवाई का मौका दिए बिना संपत्ति नहीं की जा सकती सील

    याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत राहत का हकदार नहीं है जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अगर सोसायटी अपने उद्देश्यों से इतर काम कर रही है, तो भी उसे सुनवाई का मौका दिए बिना संपत्ति को सील नहीं किया जा सकता।

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    मामले में अगली सुनवाई 11 जून को

    महाधिवक्ता ने कहा कि अगर संपत्ति को सील नहीं किया जाता है, तो याचिकाकर्ता फिर से इसी तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकता है। इस पर याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि वह वचन देंगे कि कोई मदरसा नहीं चलाएंगे। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को कोई कारण बताओ नोटिस दिए बिना या उसे सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना संपत्ति को सील कर दिया गया।

    कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद भवन की सील इस शर्त के साथ खोलने की अनुमति दी कि याचिकाकर्ता एक वचन देना होगा कि राज्य सरकार की मान्यता के बिना मदरसा नहीं चलाएंगे। मामले में अगली सुनवाई 11 जून की तिथि तय की है।