लोकसभा का रिहर्सल निकाय चुनाव दल और दिल दोनों के भेद खोल गया
लोकसभा के लिए रिहर्सल माना जा रहा निकाय चुनाव दल और दिल दोनों के भेद खोल गया। जनता ने दिल से बंपर वोट कर दलों को आइना दिखाकर प्रत्याशी को वोट दिया।
हल्द्वानी, गोविंद सनवाल : लोकसभा के लिए रिहर्सल माना जा रहा निकाय चुनाव दल और दिल दोनों के भेद खोल गया। जनता ने दिल से बंपर वोट कर दलों को आइना दिखाकर प्रत्याशी को वोट दिया। वहीं टिकट न मिलने पर सीधे बगावत या फिर दिखावे का समर्थन करने वालों को भी चुनाव सबक दे गया। भाजपा और कांग्रेस के बीच मानी जा रही इस जंग में जनता ने निर्दलीयों को भी बराबर की हिस्सेदारी देकर चेता दिया है कि आने वाले चुनाव में वोट दल को नहीं बल्कि इमेज को मिलेगा।
विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने वाली भाजपा के लिए यह निकाय चुनाव अग्निपरीक्षा सरीखा ही था। जबकि कांग्रेस को इस चुनाव से जनता का मूड और अपनी खोई शक्ति का अहसास भी करना था। प्रदेश की 70 फीसद जनता ने भी इस पर्व में अपनी पूरी भागीदारी निभाई। दिल और दिमाग से वोट दिया तो दोनों ही दलों को आइना भी दिखा दिया। भाजपा को सत्ता का दंभ न हो और कांग्रेस में कमजोर विपक्ष की हताशा इसलिए कुमाऊं के 37 निकायों में से जनता ने दोनों की सीटें भी बराबर बांट दी। इतना ही हिस्सा निर्दलीय उम्मीदवारों को भी दिया गया। चार सीटों पर निर्दलीयों ने भले ही जीत-हार का गणित गड़बड़ाया हो, लेकिन जनता का मत स्पष्ट ही रहा। ऊधमसिंह नगर जिले की तीन नगर पंचायत सीटों पर सबसे नजदीकी मुकाबला भी रहा, तो शिक्षा मंत्री के विस क्षेत्र में दबाव में रीकाउंटिंग जैसी बात भी उठी। राजनीति के सूरमाओं की बात करें तो कई अपने गढ़ बचा ले गए, लेकिन कई अपने ही गढ़ में चित भी हुए। पहाड़ से भाबर व तराई तक यह सिलसिला लगभग एक जैसा रहा।
फिलहाल एक सफर अगले पांच साल के लिए मंजिल दिखा गया है। अब 2019 का लोकसभा चुनाव एक नए सफर की कहानी लिखेगा। जनता जर्नादन फिर इसकी इबारत लिखेगी। याद रहे सत्ता का दंभ, गुटबाजी का कमजोर करने वाला घुन एवं भितरघात का रोग वहां भी दिख सकता है, लेकिन आइना वोटर ही होगा।
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